नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित एक मामले में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद के खिलाफ दाखिल सप्लीमेंट्री चार्जशीट की कॉपी आरोपी या उनके वकील को मिलने से पहले ही कथित तौर पर मीडिया में किस तरह लीक हो गई? मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह 14 जनवरी तक यह बताए कि कोर्ट के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से पहले वह कैसे कथित तौर पर मीडिया में लीक हो गई?
उमर खालिद ने अपनी याचिका में कहा है कि सप्लीमेंट्री चार्जशीट में लगाए गए इल्जाम और मीडिया में उसके खुलासे कथित रूप से गलत, दुर्भावनापूर्ण और निष्पक्ष सुनवाई के उसके अधिकार से समझौता करने वाले थे। उन्होंने पहले आरोप लगाया था कि मीडिया उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान चला रही है और कोर्ट से पुलिस को यह निर्देश देने का आग्रह किया कि उन्हें या उनके वकील को आरोपपत्र मिलने से पहले यह मीडिया को कैसे मिल गई ?
सुनवाई के दौरान उमर खालिद ने कहा कि जैसा मैंने पहले जिक्र किया था, मुझे चार्जशीट मुहैया कराए जाने से पहले ही यह सार्वजनिक हो गई और मीडिया उसके आधार पर खबर बना रही थी। मुझे खबरों में पढ़कर यह पता चला कि चार्जशीट में मेरे द्वारा दिए गए एक बयान का जिक्र है और उस तथाकथित बयान के आधार पर मीडिया ने यह खबर चलाई कि मैंने अपनी भूमिका स्वीकार कर ली है।
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