राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी में हुई हिंसा के केस में दिल्ली की एक कोर्ट ने शुक्रवार को कड़ा संदेश दिया है. न्यायालय ने बताया कि वॉट्सऐप ग्रुप के मेंबर्स ने कथित तौर पर मुसलमानों से बदला लेने को बनाए गए अपना विवेक खो दिया और भीड़ की सोच के साथ काम करना शुरू कर दिया. न्यायालय ने फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसाके दौरान एक निवासी की कत्ल के केस में 9 लोगों के विरूध्द दायर आरोपपत्र का संज्ञान लेते हुए यह बात कही है.
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न्यायालय ने बताया कि मुसलमानों से बदला लेने के लिए वॉट्सऐप पर 'कट्टर हिंदू एकता' नाम का ग्रुप निर्मित करने वाले कुछ युवा कथित तौर पर दुष्प्रचार की 'अथक मूर्खता' को महसूस करने में नाकाम रहे. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने हाशिम अली की कथित हत्या के मामले में नौ लोगों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी रूप से एकत्र होने, हत्या और आपराधिक साजिश का संज्ञान लिया. न्यायालय ने केस में आगे की सुनवाई के लिए 28 अगस्त को सभी आरोपियों लोकेश कुमार सोलंकी, पंकज शर्मा, सुमित चौधरी, अंकित चौधरी, प्रिंस, ऋषभ चौधरी, जतिन शर्मा, विवेक पांचाल और हिमांशु ठाकुर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए से पेश करने का आदेश दिया.
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जज ने अपने निर्देश में कहा, ' मेरा सोचना है कि आरोपियों द्वारा कथित तौर पर किए गए अपराधों का संज्ञान लेने के लिए रिकार्ड पर पर्याप्त सामग्री है.' कोर्ट ने कहा कि गवाहों और आरोपपत्र के बयानों से प्रथम दृष्टया यह पता चला कि आरोपियों ने सोच-समझ कर साजिश रची थी. गौरतलब है कि आरोपियों ने 26 फरवरी को भगीरथी विहार नाले की पुलिया के पास हाशिम अली की बेरहमी से कत्ल कर बॉडी को नाले में फेंक दिया था. 27 फरवरी को गोकुलपुरी इलाके में नाले से बॉडी जब्त की गई थी.
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