जबलपुर/ब्यूरो। वरिष्ठ अधिवक्ता नागरथ ने कोर्ट को अवगत कराया कि जनहित याचिकाकर्ता आलोक अब दिवंगत हो चुका है, लेकिन चूंकि यह जनहित याचिका है, इसलिए इसका तर्कसम्मत निराकरण आवश्यक है। हाई कोर्ट ने कचरे के विनिष्टीकरण के लिए कई निर्देश दिए हैं, लेकिन अभी भी साइट पर 340 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पड़ा है, जोकि घातक साबित हो सकता है। कोर्ट ने इस मामले में 2005 को तीन चरणों में दिए आदेशों के अनुपालन में गैस त्रासदी राहत व पुनर्वास विभाग के सचिव और मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सचिव को भी हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए। कोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार ने इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने के लिए ट्रांसफर याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने उसका स्टेटस भी बताने के निर्देश दिए हैं।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के पेट्रोलियम व केमिकल विभाग के सचिव से सवाल किया है कि पूर्व में पारित निर्देशों के पालन में जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण के लिए उचित कदम क्यों नहीं उठाए गए।
इसीके साथ यूनियन कार्बाइड, भोपाल के शेष 340 मीट्रिक टन कचरे के विनिष्टीकरण की प्रक्रिया का वर्तमान स्टेटस तलब कर लिया है। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को निर्धारित की है। मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र शासन की ओर से असिस्टेंट सालिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव व मध्य प्रदेश शासन की ओर से उप महाधिवक्ता विवेक शर्मा खड़े हुए। जनहित याचिकाकर्ता का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2004 में भोपाल निवासी आलोक प्रताप सिंह ने जनहित याचिका दायर कर यूनियन कार्बाइड के वैज्ञानिक और सुरक्षित विनिष्टीकरण की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की थी।
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