टोक्यों: एक तरफ बढ़ रहा कोरोना का कहर अब इतना बढ़ चुका है. कि हर तरफ केवल तवाही का मंज़र देखने को मिल रहा है. जंहा अब तक इस वायरस से मरने वालों कि संख्या 154000 से अधिक हो चुकी है. वहीं अभी भी लोगों में इस वायरस का खौफ फैला हुआ है. वहीं इस बीमारी से लड़ने के लिए अब भी डॉक्टर इलाज़ खोज रहे है. वहीं जापान में कोरोना वायरस की नई लहर से आपातकालीन चिकित्सा प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि अस्पताल बीमार लोगों को भर्ती करने से बच रहे हैं. जापान में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या लगभग 10 हजार पहुंच गई है. इस महामारी से अब तक 190 लोगों की मौत हो गई है.
वहीं हाल ही में इस बात का पता चला है कि बुखार और सांस लेने में कठिनाई के लक्षण वाले शख्स को 80 अस्पतालों ने भर्ती करने से मना कर दिया. ऐसे ही एक दूसरे मामले में 40 क्लीनिकों द्वारा मना किए जाने के बाद बुखार से पीड़ित व्यक्ति को घंटों बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया. जापानी एसोसिएशन फॉर एक्यूट मेडिसिन (और जापानी सोसायटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन (Japanese Society for Emergency Medicine) का कहना है कि कई अस्पतालों के इमरजेंसी रूम ऐसे पीड़ितों का इलाज करने से मना कर रहे हैं, जो दिल का दौरा और बाहरी चोटों संबंधित इलाज कराने आ रहे है.
जंहा यह भी कहा जा रहा है कि वायरस के प्रकोप ने जापान में चिकित्सा देखभाल में अंतर्निहित कमजोरियों को उजागर किया है. विशेषज्ञों ने सरकार पर आरोप लगाता हुए कहा है कि सुरक्षात्मक गियर और उपकरणों की व्यापक कमी के कारण चिकित्सा कर्मचारियों को अपना काम करने में परेशानी हो रही है. जापान के अस्पतालों में बिस्तरों और चिकित्सा कर्मचारियों की भारी कमी है. अस्पतालों में भीड़ और उपकरणों के आभाव में वायरस के हल्के लक्षणों वाले लोगों का इलाज नहीं हो जा रहा है.एक्यूट मेडिसिन के लिए जापानी एसोसिएशन और आपातकालीन चिकित्सा के लिए जापानी सोसायटी ने एक संयुक्त बयान में कहा कि अस्पताल में मरीजों का इलाज नहीं होने के कारण महत्वपूर्ण आपातकालीन केंद्रों पर अत्यधिक बोझ पड़ रहा है.
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