इस समय कोरोना काल में कैसी स्थिति है इस बात से हम सभी वाकिफ हैं. अब इसी बीच संयुक्त राष्ट्र के टॉप अधिकारियों ने सचेत किया है कि कॉरोना वायरस वैश्विक महामारी ने भेदभाव और अन्य मानवाधिकार उल्लंघनों को बढ़ा दिया है, जिससे संघर्ष और बढ़ सकते हैं. जी हाँ, मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने कहा दुनिया के सबसे कमजोर देशों में इनके अप्रत्यक्ष परिणाम वायरस के प्रभाव से भी अधिक हो सकते हैं. इसके अलावा उन्होंने और भी बहुत कुछ कहा है.
संयुक्त राष्ट्र की राजनीतिक प्रमुख रोजमैरी डिकार्लो और संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादी मामलों के प्रमुख मार्क लोकॉक इस दौरान सचेत करने में शामिल रहे. उन्होंने बीते बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सामने महामारी के कारण दुनियाभर में पड़ने वाले असर की गंभीर समस्या के बारे में बात की. इस दौरान लोकॉक ने परिषद को बताते हुए और सावधान करते हुए कहा कि कमजोर देशों में कोविड-19 संकट की वजह से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले अप्रत्यक्ष प्रभावों के कारण गरीबी बढ़ेगी, औसत आयु कम होगी, भुखमरी बढ़ेगी, शिक्षा की स्थिति खराब होगी और अधिक बच्चों की मौत होगी.
इसके अलावा उन्होंने यह तक कहा कि, 'संक्रमण के लगभग एक तिहाई मामले मानवतावादी या शरणार्थी संकटों से जूझ रहे देशों या कमजोर देशों में सामने आए हैं, लेकिन ये देश महामारी से असल में कितने प्रभावित हैं, इस बात का अभी पता नहीं चल पाया है.' आप जानते ही होंगे इस समय दुनिया भर में 8,60,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और दो करोड़ 60 लाख से अधिक लोगों के इससे संक्रमित है. ऐसे में अब स्थिति और खराब होने के संकेत मिल रहे हैं जो भयावह है.
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