मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार ने एक बड़ा और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने देशी गाय को 'राज्यमाता' का दर्जा देने का ऐलान किया है। यह फैसला महाराष्ट्र की महायुती सरकार ने हाल ही में संपन्न कैबिनेट बैठक के दौरान लिया। इस कदम को राज्य में धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं के साथ जोड़कर देखा जा रहा है, जिससे समाज के विभिन्न तबकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की गई है।
सरकार ने इस निर्णय के पीछे गाय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का हवाला दिया है। कहा गया है कि वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में देशी गाय का विशेष स्थान रहा है। गाय को न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया है। देशी गाय के दूध की पोषण संबंधी उपयोगिता, आयुर्वेद में इसके महत्व, पंचगव्य उपचार पद्धति और जैविक खेती में गाय के गोबर और गोमूत्र के लाभों को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है। पंचगव्य उपचार पद्धति में गाय से प्राप्त पांच उत्पादों (दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र) का इस्तेमाल चिकित्सा के लिए किया जाता है, जिसका भारतीय चिकित्सा पद्धति में विशेष महत्व है।
सरकार का कहना है कि इस फैसले से न केवल गायों का संरक्षण और संवर्धन होगा, बल्कि इससे जैविक खेती और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को भी बढ़ावा मिलेगा। देशी गाय को 'राज्यमाता गोमाता' का दर्जा देने का फैसला राज्य की संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं को भी सुदृढ़ करने का प्रयास है। यह निर्णय विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े स्तर पर प्रभाव डाल सकता है, जहां गायों को पारंपरिक रूप से परिवार का हिस्सा माना जाता है और उनकी देखभाल धार्मिक और सांस्कृतिक आस्थाओं से जुड़ी होती है।
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