नई दिल्ली: मैराथन बैठकों और तीन बड़े नेताओं के इंकार के बाद विपक्ष के संयुक्त राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर मुहर लग सकी थी। हालांकि, अब खबर है कि पश्चिम बंगाल की CPM इकाई ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाए जाने से संतुष्ट नहीं है। पार्टी का कहना है कि इस पद के लिए प्रत्याशी और बेहतर हो सकता था। इधर, सिन्हा के मुकाबले में NDA ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को उतारा है।
CPM की ओर से फेसबुक पर एक संयुक्त बयान जारी किया था। जिसमें उन्होंने सिन्हा की उम्मीदवारी का समर्थन किया था। लेकिन इसके कारण पार्टी के अंदर ही विवाद पैदा हो गया था। बंगाल से CPM के राज्यसभा सदस्य विकासरंजन भट्टाचार्य ने सिन्हा के पूर्व में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (TMC) से मौजूदा संबंधों को देखते हुए उनकी उम्मीदवारी पर सवाल खड़े किए और कहा कि पार्टी को यह सहन करना होगा। सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने बंगाली में पार्टी के मुखपत्र के जरिए समझाया है कि किन परिस्थितियों में पार्टी को सिन्हा की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए विवश किया गया था।
येचुरी ने खुलकर स्वीकार किया कि सिन्हा की उम्मीदवारी का समर्थन करने के निर्णय पर आंतरिक असंतोष बढ़ रहा है, येचुरी ने कहा कि शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी के चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद यशवंत सिन्हा विपक्ष के लिए एकमात्र विकल्प बचे थे। हालांकि, येचुरी ने कहा कि यह CPM की नैतिक जीत थी कि इसके दबाव में सिन्हा को तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से त्यागपत्र देना पड़ा, इससे पहले कि उनका नाम विपक्षी उम्मीदवार के तौर पर घोषित किया गया।
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