चंडीगढ़: पिछले दिनों हुई ओलावृष्टि के चलते किसानों की काई फसलें तवाह हो गई. और इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा रहा है कि प्रदेश में अब किसानों की मर्जी से ही उसकी फसल का बीमा किया जाने वाला है. केंद्र सरकार भी इसे वैकल्पिक बनाने जा रही है. प्रदेश सरकार केंद्र के इसी नोटिफिकेशन का इंतजार किया जा रहा है. नोटिफिकेशन आते ही इसे लागू कर दिया जाएगा. विपक्ष के एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर जवाब देते हुए उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी यह दावा किया कि सरकार किसानों की फसल को लेकर पूरी तरह चिंतित है और किसानों को उनकी आपदा की वजह से बर्बाद फसल का मुआवजा समय पर मिले, इसे लेकर गंभीर भी है.
मिली जानकारी के अनुसार इस बात का पता चला है कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 से लेकर अब तक सूखा, बाढ़, भारी वर्षा, आग, ओलावृष्टि, कीटों द्वारा हमले और शीतलहर एवं पाला जैसी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों को नुकसान होने पर किसानों को 2695.54 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया है. जंहा इस बात को लेकर उन्होंने कहा कि 4 जून, 2019 को जारी आदेश के तहत धूल भरी आंधी, बिजली स्पार्किंग, आसमानी बिजली और लू इत्यादि को स्थानीय आपदाएं घोषित किया गया है तथा इनसे हुए नुकसान के लिए राज्य सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जाती है.
जंहा उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली मुआवजा राशि से कहीं अधिक है. सोनीपत और कुरुक्षेत्र में ओलावृष्टि और वर्षा के कारण गेहूं, सरसों और सब्जियों की खड़ी फसलों में हुए नुकसान के मुआवजे की मांग बारे उप मुख्यमंत्री कहा कि 2020 के दौरान जिला सोनीपत और कुरुक्षेत्र में वर्षा और ओलावृष्टि की घटनाओं की सूचना प्राप्त हुई थी, तदानुसार सम्बन्धित जिला उपायुक्तों से रिपोर्ट मंगवाई गई थी.
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