नई दिल्ली. भारत में अबॉर्शन को लेकर कई कानून बन गए है लेकिन इसकी संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है. भारत में साल 2015 में गर्भधारण करने वाली महिलाओं में से करीब आधी महिलाएं अनचाहे रूप से गर्भवती हुईं और देश में हुए ज्यादातर गर्भपातों में महिलाओं ने उचित परामर्श के बगैर ही दवा खाकर गर्भस्थ भ्रूण को खत्म कर दिया.
द लांसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि वर्ष 2015 में भारत में करीब एक करोड़ 56 लाख महिलाओं का गर्भपात हुआ. इसके मुताबिक 15 से 49 आयु वर्ग की प्रति 1,000 महिलाओं में गर्भपात की दर 47 फीसदी रही जो दक्षिण एशियाई देशों में गर्भपात की दर के बराबर है.
अध्ययन के अनुसार वर्ष 2015 में चार करोड़ 81 लाख गर्भवती महिलाओं में से करीब आधे गर्भधारण अनचाहे रूप से हुए यानी कि महिलाएं या तो गर्भवती नहीं होना चाहती थी या बाद में गर्भधारण करना चाहती थीं. न्यूयॉर्क स्थित गुटमेकर संस्थान में अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान की उपाध्यक्ष डॉ. सुशीला सिंह ने कहा, ‘भारत में महिलाएं गर्भपात से संबंधित चुनौतियों का सामना कर रही हैं जिनमें सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भपात की सीमित सुविधाएं होना शामिल है.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे अध्ययन में पता चला है कि प्रशिक्षित कर्मचारियों, पर्याप्त सुविधाओं तथा उपकरणों की कमी मुख्य कारण हैं कि कई सरकारी केंद्र गर्भपात की सुविधा मुहैया नहीं कराते हैं.’ शोधकर्ताओं ने पाया कि 81 फीसदी गर्भपात दवाओं के जरिये हुए जबकि 14 फीसदी गर्भपात स्वास्थ्य केंद्रों में सर्जरी के जरिए तथा शेष पांच फीसदी गर्भपात अन्य असुरक्षित तरीकों से स्वास्थ्य केंद्रों के बाहर हुए.
कोहरे की वजह से 25 ट्रेनें लेट, 12 कैंसिल
श्री जगन्नाथपुरी मंदिर के ऊपर ड्रोन उड़ाने वाले गिरफ्तार