काठमांडू: नेपाल में नाग देवता की पूजा करने वाला त्योहार "नाग पंचमी" धूमधाम से मनाया गया। राजधानी काठमांडू में नाग देवता को समर्पित एक तालाब में सैकड़ों भक्त "नाग पोखरी" में उमड़ पड़े, जहाँ उन्होंने दूध, मिठाई, सिंदूर और फूल चढ़ाए। नाग पंचमी, हिंदू परंपरा के इतिहास में गहराई से निहित एक त्योहार है, जिसका एक समृद्ध इतिहास है जो प्राचीन कथाओं और किंवदंतियों से जुड़ा हुआ है। इसकी उत्पत्ति महाकाव्य महाभारत में देखी जा सकती है, जहाँ एक नाग से जुड़ी एक दुखद घटना ने इस अनोखे उत्सव के लिए मंच तैयार किया।
किंवदंतियों के अनुसार, कालिया नामक शक्तिशाली नाग देवता ने यमुना नदी के पानी को जहरीला कर दिया था। भगवान कृष्ण ने ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए कालिया को वश में किया। चंद्र कैलेंडर के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में माना जाता है, जो नाग देवताओं को समर्पित दिन है। लोग आस-पास के तालाबों और नाग मंदिरों में नाग देवता की पूजा करने के लिए उमड़ पड़ते हैं और इसी के साथ हिमालयी राष्ट्र में त्यौहारों का मौसम शुरू हो जाता है।
नाग पंचमी का त्यौहार मनुष्य और प्रकृति के बीच के बंधन को मजबूत बनाने का त्यौहार भी माना जाता है। इस दिन किसान खेत की खुदाई या जुताई नहीं करते बल्कि वे अपने खेत की मिट्टी से मूर्तियाँ बनाकर देवता की पूजा करते हैं। इसके अलावा नाग देवता को जल और वर्षा का देवता भी माना जाता है। सांप खेतों में रहकर कृषि-संपदा (अनाज) को नुकसान पहुंचाने वाले चूहों को खा जाते हैं, इसलिए उन्हें किसानों का मित्र अथवा क्षेत्रपाल भी कहा जाता है। अनेक जीवन-रक्षक औषधियों के निर्माण में नागों से प्राप्त जहर की आवश्यकता होती है।
दरअसल, भारतीय संस्कृति ने उन सभी जीवों, वनस्पतियों तथा वस्तुओं को सम्मान दिया है, जो हमारे अस्तित्व को बचाने में योगदान देते हैं। इसी वजह से, पर्यावरण-संतुलन में मदद करने वाला नाग देवाधिदेव महादेव के कंठ का हार बनता है, तो नाग-पंचमी पर वह पूजा जाता है।