नई दिल्ली : भारत के लिए कच्चे तेल की कीमत काफी अहमियत रखती है। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में लगातार चौथे दिन तेजी का सिलसिला जारी रहा। कच्चे तेल का दाम पांच महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। लगातार हो रहे इजाफे से देश में भी पेट्रोल और डीजल के दाम में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, जिसका सीधा असर जनता पर पड़ेगा। तेल के बढ़े हुए दाम ना सिर्फ जनता बल्कि सरकार के लिए भी बड़ी मुसीबत बन सकते हैं।
कीमतों में उतार-चढ़ाव के बीच आज घटे पेट्रोल और डीजल के दाम
यह है मुख्य कारण
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के कारण तेल के दाम में आई तेजी से घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स पर भी कच्चे तेल के सौदों में उछाल दर्ज किया गया है। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें करीब पांच महीने के ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं। तेल के दाम में तेजी का सबसे बुरा असर बांड मार्केट पर पड़ा है। विदेशी निवेशकों ने 4 अप्रैल के बाद से अब तक 78 करोड़ के बांड बेचे हैं।
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आगे ऐसे रह सकते है दाम
जानकारी के लिए बता दें पिछले एक महीने में कच्चे तेल के दाम में 7.50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ब्रेंट क्रूड की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है, जिससे भारत को आयात पर अधिक डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं। ऐसे में तेल की कीमत में हो रहा इजाफा सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। बता दें कि भारत 75 फीसदी से अधिक कच्चे तेल की जरूरत आयात से पूरी करता है। सोमवार को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में डिलीवरी के लिए कच्चे तेल का भाव 52 डॉलर या 1.19 फीसदी की तेजी के साथ 4,414 रुपये प्रति बैरल रहा।
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