वाशिंगटन: इस सप्ताह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में लगभग तीन डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आ चुकी है. घरेलू वायदा बाजार में भी कच्चे तेल की कीमत 200 रुपये प्रति बैरल से अधिक गिरा है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या सरकार इसका लाभ उपभोक्ताओं को देगी? यह सवाल इसलिए खड़ा होता है क्योंकि पिछले महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे में बढ़त के नाम पर ही पेट्रोल-डीजल के दामों में काफी इजाफा हो चुका है, किन्तु कीमत में कोई बड़ी कटौती नहीं की गई.
हालांक, यह बात ध्यान देने वाली होगी कि कीमतों में बढ़त या नरमी का असर तत्काल नहीं पड़ता और अगर सरकार लाभ भी देगी तो यह अगले महीने में हो सकता है. विदेशी बाजार में कच्चे तेल के दाम में इस हफ्ते बीते दिनों के दौरान लगभग तीन डॉलर की नरमी आई है. बीते हफ्ते के आखिर में बेंट क्रूड का भाव 66.72 डॉलर प्रति बैरल था, जबकि अमेरिकी क्रूड (WTI) का भाव बीते सप्ताह 60.21 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ था.
वहीं इस सप्ताह की शुरुआत में 15 जुलाई को ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 66.54 डॉलर प्रति बैरल रही थी, जो गुरुवार यानी 18 जुलाई को घटकर 63.80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गई थी. आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों का बोझ लगातार उपभोक्ताओं पर डाला जाता रहा है, किन्तु जब तेल की कीमतों में नरमी आती है तो तेल कंपनियां कीमतें नहीं घटातीं.
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