नई दिल्लीः केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था में नरमी आने की परेशानी से जुझ रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यानि कल अर्थव्यवस्था के लिए कई बड़े ऐलान किये हैं। कच्चे तेल में गिरावट आई है। ये अर्थव्यवस्था के लिए एक सुखद संदेश है। चीन की अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाने की घोषणा के बाद अमेरिकी कच्चा तेल तीन फीसदी से अधिक गिरावट के साथ 53.58 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। ग्लोबल बेंचमार्क ब्रेंट भारत के लिए अधिक प्रासंगिक है।
वह दो फीसदी या 1.19 डॉलर सस्ता होकर 58.75 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। तेल की कीमतें एकदम सही समय पर कम हुई हैं। ये विकास को तेज गति देने वाले कदमों को और मजबूती देगा। सस्ते तेल का फायदा ये होता है कि इससे आयात बिल और सब्सिडी पर खर्च में कमी आती है। यही कारण है कि चालू खाते और महंगाई नियंत्रित करने में मदद मिलती है। वहीं सस्ता तेल मांग को भी बढ़ाता है, जिससे किसानों की लागत खर्च कम होता है। जो सिंचाई के लिए डीजल पंप जैसे सेट का इस्तेमाल करते हैं।
सब्सिडी पर खर्च में कमी आएगी तो सामाजिक कल्याण की योजनाओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के लिए फंड बचता है। जिससे आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी आती है। इससे पहले वर्ष 2014 में जब पीएम मोदी ने शपथ ली थी तब भारत बैरल कच्चा तेल के लिए 108 डॉलर चुका रहा था। मगर फिर तीसरे साल तक इसकी कीमत घटकर 48 डॉलर प्रति बैरल तक आ गई। इससे मोदी सरकार को ईंधन पर कर बढ़ाकर फंड जुटाने और सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर खर्च बढ़ाने का अवसर मिला।
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