नई दिल्ली : ईरान से कच्चे तेल की आपूर्ति मामले में भारत एक बड़ी दुविधा में है. भारत के सम्मुख दो मई के बाद ईरान से कच्चे तेल की आपूर्ति नामुमकिन है, वहीं ईरान में चाहबहार बंदरगाह में निवेश, पाकिस्तान के दंभ के कारण अफगानिस्तान से व्यापारिक चुनौतियों के मद्देनजर वैकल्पिक मार्ग तय करना दुविधापूर्ण हो सकता है.
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भारत को मिली थी विशेष छूट
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसे में अमेरिका से सामरिक संबंधों के बीच भारत को कच्चे तेल के लिए एक बार फिर मिडल ईस्ट में सऊदी अरब और संयुक्त अरब गणराज्य का द्वार खटखटाना पड़ सकता है. भारत के सऊदी अरब सहित संयुक्त अरब अमीरात सहित तेल उत्पादक ओपेक देशों से अच्छे संबंध हैं. ओबामा प्रशासन ने आर्थिक प्रतिबंध के बावजूद भारत को चाहबहार बंदरगाह में निवेश के लिए विशेष छूट दी थी.
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पहले इतना होता था आयात
जानकारी के मुताबिक उस समय ओबामा प्रशासन को लगता था कि भारत और अफ़ग़ानिस्तान के बीच व्यापारिक संबंधों में यह नीति विषयक एक अहम पहलू था, लेकिन ट्रम्प प्रशासन ने इस तरह की कोई छूट दिए जाने से इनकार किया है. चीन, अमेरिका के बाद भारत तीसरा बड़ा देश है, जो कच्चे तेल के आयात पर निर्भर है. भारत प्रतिदिन 49,30,000 बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का आयात करता है.
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