लंदन : जुलाई 2017 के बाद पहली बार कच्चे तेल की कीमत 50 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गई। ऐसा दुनियाभर के फाइनैंशल मार्केट्स में जारी उतार-चढ़ाव के कारण हुआ है। इससे तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक के साथ-साथ अन्य देशों ने तेल उत्पादन में कटौती का ऐलान किया था, जिससे तेल के दाम बढ़ने की आशंका जताई जाने लगी थी। अब जो हो रहा है इसके विपरीत हो रहा है। बता दे ईरान पर अमेरिकी पाबंदियों के ऐलान के मद्देनजर इस वर्ष अक्टूबर महीने में कच्चे तेल की कीमतें बीते चार वर्षों के सर्वोच्च स्तर पर चली गई थीं।
तेल उत्पादक देश उठाएंगे उचित कदम
प्राप्त जानकारी अनुसार बुधवार को फ्यूचर मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 1.1% गिर गई। सोमवार को इसमें 6.2% की गिरावट दर्ज की गई थी। रूस के एनर्जी मिनिस्टर ने निवेशकों को यह कह कर भरोसा दिलाने की कोशिश की ओपेक और इसके सहयोगी देशों के बीच तेल उत्पादन में कटौती को लेकर बनी सहमति की वजह से 2019 की पहली छमाही में ऑइल मार्केट में स्थिरता आएगी। बताया गया कि अगर हालात बदले तो तेल उत्पादक देश उचित कदम उठाएंगे।
अमेरिका ने किया रेकॉर्ड तेल उत्पादन
प्राप्त जानकारी अनुसार इस साल अक्टूबर माह में चार वर्ष के सर्वोच्च स्तर पर जाने के बाद कच्चे तेल की कीमतें 40 प्रतिशत घट चुकी हैं। तेल निर्यातक देशों के संगठन और रूस समेत इसके सहयोगियों ने 6 दिसंबर की बैठक में तेल कटौती पर रजामंदी जाहिर की थी। इससे निवेशकों को डर सताने लगा कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का अभाव पैदा करने के लिए काफी है। परन्तु अमेरिका रेकॉर्ड स्तर पर तेल उत्पादन करने लगा, जिससे यह डर अब दूर होता दिख रहा है।
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