कोरोना संकट के बीच कैरिबियन सागर में बसा एक छोटा सा देश क्यूबा संकट की इस घड़ी में पूरी दुनिया के लिए फरिश्ता बनकर उभरा है. इटली में क्यूबा ने डॉक्टरों की टीम भेजी है. चीन ने कोरोना से निबटने के लिए क्यूबा से दवा मंगवाई थी. वहीं अब अमेरिका भी क्यूबा के डॉक्टरों का सहयोग ले रहा है. इस तरह अब जब कोरोना संकट ने दुनिया के विकसित देशों की स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल दी है तो ऐसे समय में क्यूबा मॉडल को दुनिया उम्मीदों के साथ देख रही है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि क्यूबा मॉडल मूल रूप से ‘सबको स्वास्थ्य और सुलभ इलाज’ पर आधारित है. क्यूबा की स्वास्थ्य सेवाएं विश्वस्तरीय मानी जाती हैं. क्यूबा में कोई निजी अस्पताल नहीं है. क्यूबा में प्रति 10 हजार की आबादी पर 70 डॉक्टर हैं, जबकि दुनिया के अन्य विकसित समझे जाने वाले देशों जैसे रूस में प्रति 10 हजार की जनसंख्यापर 43, स्विट्जरलैंड में 40 और अमेरिका में तो महज 24 डॉक्टर ही उपलब्ध हैं. यदि हम अपने देश भारत की बात करें तो यहां तो यह स्थिति और भी खराब है.
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अगर आपको नही पता तो बता दे कि भारत में प्रति दस हजार की आबादी पर महज छह डॉक्टर ही उपलब्ध हैं. जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार प्रत्येक दस हजार की आबादी पर कम से कम 10 डॉक्टर का होना अनिवार्य है. एक बार फिर से हम क्यूबा की बात करें तो उसने अपने यहां जगह-जगह सैकड़ों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए हैं. एक स्थानीय सामुदायिक केंद्र 30 से 60 हजार लोगों को सेवाएं प्रदान करता है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी तीन मंजिला इमारत में चलते हैं.
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