तेलंगाना में दलित बंधू योजना बंद! राहुल गांधी के 'जातिगत न्याय' का क्या हुआ ?

तेलंगाना में दलित बंधू योजना बंद! राहुल गांधी के 'जातिगत न्याय' का क्या हुआ ?
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हैदराबाद: तेलंगाना में कांग्रेस सरकार ने पूर्ववर्ती BRS सरकार द्वारा शुरू की गई दलित बंधु योजना को कथित तौर पर बंद कर दिया है। इस कदम से उन दलितों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं, जिन्हें इस योजना के तहत लाभ मिलना था। रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस सरकार ने दलित बंधु योजना के सभी खातों को फ्रीज कर दिया है, जिससे दूसरी किस्त के लिए स्वीकृत लाभार्थी अपना व्यवसाय जारी रखने में असमर्थ हैं। मेडक और आदिलाबाद जैसे जिलों में भी इस योजना के तहत नए आवेदन स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं, जिससे दलित समुदाय में निराशा बढ़ रही है।

कांग्रेस ने चुनाव से पहले वादा किया था कि वे दलित बंधु योजना को नया स्वरूप देकर डॉ. अंबेडकर अभय हस्तम योजना के तहत दलितों को 12 लाख रुपये का प्रोत्साहन देंगे, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इसके चलते लोग कांग्रेस सरकार के इरादों पर सवाल उठा रहे हैं। दूसरी ओर, राहुल गांधी विभिन्न मंचों पर जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं और खुद को दलितों का मसीहा बता रहे हैं। उन्होंने हाल ही में मिस इंडिया प्रतियोगिता के विजेताओं की जाति पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनमें से कोई भी दलित, आदिवासी, या ओबीसी समुदाय से नहीं है। राहुल गांधी का यह बयान यह दर्शाता है कि वे जाति आधारित राजनीति को लेकर काफी मुखर हैं। लेकिन, सवाल तब उठता है, जब कांग्रेस शासित राज्यों में दलितों और पिछड़ों के अधिकारों को मारा जा रहा है, की क्या राहुल गांधी की यह राजनीति महज वोट बटोरने के लिए है? क्योंकि, जहाँ कांग्रेस की सरकारें हैं, वहां SC/ST और OBC के साथ कुछ अच्छा होता दिखाई नहीं दे रहा है, जैसे राहुल गांधी दावे करते हैं। 

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने SC/ST फंड से 14 हजार करोड़ रुपये निकालकर अपनी चुनावी गारंटियों में खर्च कर दिए। इसके अलावा, वाल्मीकि विकास विभाग में हुए घोटाले के कारण एक दलित अधिकारी ने आत्महत्या कर ली, और इसमें कांग्रेस के एक मंत्री का नाम सामने आया है। वहीं, तेलंगाना में भी कांग्रेस सरकार ने अपने बजट में दलितों और आदिवासियों के फंड में कटौती कर अल्पसंख्यकों का बजट बढ़ा दिया गया है। यही नहीं, कांग्रेस OBC आरक्षण में से भी 4 फीसद मुस्लिमों को दे रही है। जबकि, उन्हें अल्पसंख्यक होने के नाते अलग लाभ मिलते ही हैं, जो OBC को नहीं मिलते। इन सब चीज़ों से सवाल उठते हैं कि क्या, SC/ST और OBC के साथ धोखा कर कांग्रेस अपने मुख्य वोट बैंक को दोहरे लाभ दे रही है ? अभी पार्टी कुछ राज्यों में सरकार होने के बाद भी दलितों-पिछड़ों के साथ न्याय नहीं कर पा रही है, तो वो केंद्र की सत्ता में आने पर क्या करेगी ?

इन घटनाओं के चलते यह सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस का मकसद केवल दलितों और पिछड़ों को गुमराह करके उनका वोट लेना है? क्या कांग्रेस अपने मुख्य वोट बैंक को दोहरे लाभ देने के लिए SC/ST और OBC समुदायों के साथ धोखा कर रही है? और इस पर अधिकांश राजनेताओं का मौन रहना क्या दर्शाता है? ये सवाल राहुल गांधी और कांग्रेस की नीतियों पर गहरी चिंताओं को जन्म देते हैं।

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