लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के अंतर्गत आने वलए गौसगंज गांव में मुस्लिम भीड़ ने तेजराम नामक के एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी, जिसकी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई। तेजराम की मौत उसके घर की महिलाओं के साथ अनुचित व्यवहार का विरोध करने के कारण हुई। इस घटना को मीडिया ने बहुत कम तवज्जो दी।
बरेली में मुहर्रम के दिन दंगा करते हुए हिंदुओं के घरों पर हमला करने वाले 80 में से 35 दंगाई गिरफ्तार , सभी पर रासुका लगेगा।
— Nitin Uploader (@NitinUploader) July 23, 2024
10 अवैध मकान ध्वस्त किए गए हैं। दंगाइयों में हिंदू युवक तेजराम की लिंचिंग की थी।
आरोपी पीआरडी जवान बख्तावर अली और सिपाही नफीस को निलंबित किया गया।#Muslim pic.twitter.com/1PFVd0px0T
इस घटना के बाद मीडिया ने आरोपियों के अवैध निर्माणों को ढहाने पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे हमलावरों के प्रति ही सहानुभूति पैदा हुई। इसके विपरीत, तेजराम की मौत की खबर बमुश्किल ही सामने आई, जबकि अतीत में इसी तरह की घटनाओं के बाद काफी हंगामा हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार, गौसगंज में यह घटना 16 जुलाई, 2024 को मुहर्रम के जुलूस के दौरान शुरू हुई, जिसके कारण ताजिया को नए स्थान पर रखने को लेकर मुसलमानों और हिंदुओं के बीच संघर्ष हुआ। स्थिति अस्थायी रूप से शांत हो गई, लेकिन 19 जुलाई, 2024 को तनाव फिर से भड़क गया, जब अब्दुल ने पूर्व ग्राम प्रधान हीरालाल के घर की एक महिला पर लेजर लाइट फेंकी। जब हीरालाल ने विरोध किया, तो अब्दुल ने अपने साथियों को बुला लिया, जिन्होंने संपत्ति में तोड़फोड़ की और पथराव किया। करीब 60-70 मुसलमानों की भीड़ ने घरों में घुसकर महिलाओं समेत निवासियों पर हमला किया।
बरेली में #हिंदू परिवार पर 50 से ज़्यादा मुसलमानों ने किया हमला
— Jatinder Pal Khanna (@KhannaPal) July 21, 2024
ताजिये के दौरान मंदिर के सामने हुड़दंग करने व महिला से छेड़छाड़ करने से रोकने पर किया बवाल
लाठी-डंडों और लोहे की रॉड से “तेजराम”को मार मारकर किया अधमरा
अब्दुल,इमरान,मुख़्तार,इरफ़ान, लगभग 50 #मुस्लिमों ने किया हमला pic.twitter.com/ENpALsz1Bv
हमले में कई लोग घायल हो गए और हीरालाल के बेटे तेजराम ने बीच-बचाव करने की कोशिश की। हालांकि, भीड़ ने तेजराम पर हमला कर दिया, उसे गांव की मस्जिद में घसीट कर ले गए और लाठी-डंडों और लोहे की रॉड से पीटा। परिवार और स्थानीय लोगों ने इस घटना की पुष्टि की। गंभीर रूप से घायल तेजराम को मरने के लिए छोड़ दिया गया और बाद में उसका परिवार उसे बरेली के एक अस्पताल ले गया, जहां 22 जुलाई, 2023 को उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने दो FIR दर्ज करके और 35 संदिग्धों को गिरफ्तार करके जवाबी कार्रवाई की। जांच में आरोपियों के स्वामित्व वाले 10 से अधिक अवैध निर्माणों का पता चला, जिसके कारण प्रशासन ने उन्हें ध्वस्त कर दिया। ध्वस्त की गई संपत्तियों में बख्तावर, इशरत, मुकीम, यासीन, यूसुफ, इश्तियाक और अशफाक की संपत्तियां शामिल थीं। पुलिस अभी भी अन्य संदिग्धों की तलाश कर रही है, जिसमें दो व्यक्तियों अशरफ और आसिफ पर इनाम रखा गया है।
नैरेटिव की लड़ाई हार रहा है हिन्दू! बरेली में तेजराम को Jहादियों की भीड़ घर से खींच कर ले गई और मस्जिद के अंदर उसे लिंच करके मार दिया। लेकिन ये खबर मोहर्रम के बवाल के रूप में दिखेगी, बुलडोजर चला के रूप में दिखेगी। लेकिन एक दलित हिन्दु तेजराम की मस्जिद में लिंचिंग की खबर कहीं नहीं… pic.twitter.com/sgP7RqNI9F
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) July 25, 2024
तेजराम की मौत को मीडिया में बहुत ज़्यादा कवरेज नहीं मिली, जबकि 2015 में अखलाक और 2019 में तबरेज़ जैसे पिछले मामलों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया था। इन घटनाओं को व्यापक मीडिया कवरेज, मुआवज़ा और वर्षों बाद भी लगातार ध्यान मिला, जिससे पीड़ित के धर्म के आधार पर इस तरह के मामलों की रिपोर्टिंग और विरोध में साफ़ दोगलापन दिखाई दिया। तेजराम को उत्पीड़न के खिलाफ़ खड़े होने के लिए भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला, और उसकी मौत को मीडिया में ज़्यादातर लोगों ने नज़रअंदाज़ किया, जबकि अभियुक्तों द्वारा अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने की घटना को व्यापक कवरेज मिली। आज आपको गूगल करने पर भी ये खबर तेजराम की पीट-पीटकर हत्या के रूप में नहीं मिलेगी, जो वास्तविक है। बल्कि आरोपियों के घर बुलडोज़र चलने, या मुहर्रम बवाल में मौत होने जैसी खबरें मिलेंगी। जबकि, ये बवाल, दंगा या हिंसा नहीं, एक भीड़ की तरफ से दूसरे समुदाय पर एकसाथ किया गया हमला था।
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