डार्क चॉकलेट कुछ मामलों में डायबिटीज मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन इसका सेवन सावधानी से करना जरूरी है। सबसे महत्वपूर्ण है कि आप किस प्रकार की चॉकलेट चुनते हैं और कितनी मात्रा में खाते हैं।
डार्क चॉकलेट के फायदें
डार्क चॉकलेट में पॉलीफेनॉल होते हैं, जो इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। एक रिसर्च के अनुसार, डार्क चॉकलेट खाने से मधुमेह का जोखिम कम हो सकता है।
एंडोक्राइन एब्सट्रैक्ट्स के मुताबिक, डार्क चॉकलेट का सेवन इंसुलिन संवेदनशीलता और रक्त शर्करा पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
पोषण तत्व
डार्क चॉकलेट एंटीऑक्सीडेंट और पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें फ्लेवोनोइड्स नामक फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो कैंसर की रोकथाम और हृदय स्वास्थ्य में मदद कर सकते हैं। ये तत्व शरीर को हानिकारक अणुओं से बचाते हैं।
डार्क चॉकलेट और मधुमेह का संबंध: डार्क चॉकलेट के पॉलीफेनोल शरीर में इंसुलिन की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इसका सेवन रक्तचाप को भी कम कर सकता है। यदि डायबिटीज मरीज सप्ताह में कम से कम एक बार डार्क चॉकलेट का सेवन करते हैं, तो इससे मधुमेह का जोखिम कम हो सकता है।
चीनी रहित विकल्प: मधुमेह रोगियों के लिए चीनी रहित डार्क चॉकलेट एक अच्छा विकल्प हो सकता है, क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को नहीं बढ़ाती।
कोको सामग्री: जब आप डार्क चॉकलेट चुनते हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि इसमें कम से कम 70% कोको हो। विशेषज्ञ रोजाना लगभग 1 से 2 औंस (30-60 ग्राम) डार्क चॉकलेट खाने की सलाह देते हैं। इसके साथ, जो खाद्य पदार्थ आप खाते हैं, वे भी आपके रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो आप डार्क चॉकलेट का सेवन कर सकते हैं, लेकिन इसे सीमित मात्रा में और सही प्रकार की चॉकलेट के साथ करना जरूरी है। हमेशा अपने डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ से सलाह लें।
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