दुनियाभर में 'डार्क वेब' बना परेशानी, जानिए भारत मुकाबले के लिए कितना है तैयार

दुनियाभर में 'डार्क वेब' बना परेशानी, जानिए भारत मुकाबले के लिए कितना है तैयार
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डाटा सिक्योरिटी का मामला इंटरनेट की दुनिया में बहुत ही गंभीर होता जा रहा है. अमेरिका जैसे देश के सरकारी कंप्यूटर पर मैलवेयर का अटैक हो जाता है. इंटरनेट इस्तेमाल के मामले में भारत दुनिया में नंबर वन हो गया है और इसके पीछे सरकार का डिजिटलाइजेशन पर ध्यान और 4जी का अवतार माना जा रहा है. नीति आयोग की रिपोर्ट को मानें तो भारत में हर महीने करीब 150 करोड़ जीबी डाटा खर्च हो रहा है, जो कि पहले सिर्फ 20 करोड़ जीबी था. खास बात यह है कि भारत में इंटरनेट डाटा की खपत अमेरिका और चीन के संयुक्त डाटा खर्च से भी अधिक है, लेकिन इसी बीच बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतने डाटा का इस्तेमाल कहां किया जा रहा है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे​ कि यह बात अपने आप में सोचने वाली है कि आखिर भारतीय 150 करोड़ जीबी डाटा का इस्तेमाल कहां कर रहे हैं, तो आपको बता दें कि भारत में सबसे ज्यादा डाटा का इस्तेमाल सोशल मीडिया और मनोरंजन में हो रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 85 फीसदी से ज्यादा डाटा का इस्तेमाल तो सोशल साइट्स, अश्लील सामग्री और व्हाट्सएप में हो रहा है. इसके अलावा बचे हुआ डाटा का इस्तेमाल वीडियो देखने में और काम की चीजों में हो रहा है. ऐसे में यह एक गंभीर मसला है कि देश के युवा डाटा का इस्तेमाल गलत कामों में कर रहे हैं जो बड़ा ही घातक है.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में डाटा का इस्तेमाल पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा तो हो गया है, लेकिन इसी के साथ साइबर क्राइम के बढ़ने को लेकर चिंता हो गई है. पिछले साल ही नेशनल क्राइम ब्यूरो (एनसीबी) ने गुरुग्राम की एक ऑनलाइन फार्मेसी का भंडाफोड़ किया है. यह कंपनी अवैध रूप से अमेरिका जैसे देशों में हर्बल दवा के नाम पर नशीली दवाएं भेजने के लिए काम कर रही थी. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह सब इंटरनेट के उस हिस्से में हो रहा था, जिस पर आम आदमी की नजर नहीं होती है. ड्रग तस्करी का यह काम डार्क नेट के जरिए हो रहा था और इसमें बिट्क्वाइन में पेमेंट हो रहा था. तो सवाल यह है कि आखिर क्या है डार्क नेट जिसकी आड़ में इंसानों की खरीद-फरोख्त और ड्रग्स की सप्लाई जैसे अवैध काम हो रहे है.

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