लखनऊ: अयोध्या में श्रीराम मंदिर की वर्षगांठ अब प्रत्येक वर्ष 22 जनवरी को नहीं मनाई जाएगी। इसके बजाय, यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार मनाया जाएगा। सोमवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की एक महत्वपूर्ण बैठक मणिराम दास छावनी में हुई, जिसमें यह निर्णय लिया गया। बैठक में मंदिर एवं परिसर से जुड़े कई अन्य अहम फैसले भी किए गए, जो श्रद्धालुओं एवं भक्तों के अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। ट्रस्ट ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी, जिससे व्यापक रूप से लोगों को इस बदलाव के बारे में बताया गया।
राम मंदिर की वर्षगांठ का आयोजन पंचांग के अनुसार
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की बैठक में कुल दस ट्रस्टी उपस्थित थे। बैठक में यह सहमति बनी कि हिंदू धर्म में सभी प्रमुख त्योहारों का आयोजन हिंदू तिथियों के अनुसार किया जाता है। इसी परंपरा को मानते हुए राम मंदिर की वर्षगांठ भी हिंदू पंचांग के अनुसार मनाई जाएगी। बीते वर्ष रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हुई थी, जो हिंदू पंचांग के हिसाब से पौष शुक्ल द्वादशी तिथि थी। इस वर्ष, यह तिथि 11 जनवरी को पड़ेगी तथा इस दिन ही राम मंदिर की वर्षगांठ मनाई जाएगी।
ट्रस्ट ने जानकारी दी कि संतों से परामर्श करने के पश्चात् यह निर्णय लिया गया कि जैसे अन्य हिंदू पर्व और उत्सव पंचांग के अनुसार मनाए जाते हैं, वैसे ही श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ हर वर्ष पौष शुक्ल द्वादशी (कूर्म द्वादशी) को मनाई जाएगी। इसे प्रतिष्ठा द्वादशी के नाम से भी जाना जाएगा। इस वर्ष 2025 में यह तिथि 11 जनवरी को होगी तथा तब से यह परंपरा निरंतर जारी रहेगी।
मंदिर परिसर में नए निर्माण कार्य
राम मंदिर के परिसर में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के लिए कुछ और महत्वपूर्ण सुविधाएं भी विकसित की जा रही हैं। ट्रस्ट ने बताया कि मंदिर के पास स्थित यात्री सेवा केंद्र के पास 3000 वर्ग मीटर क्षेत्र में अपोलो अस्पताल, दिल्ली द्वारा अत्याधुनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली स्थापित की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य मंदिर परिसर में आने वाले भक्तों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इसके अतिरिक्त, मंदिर परिसर के दक्षिणी कोने में 500 व्यक्तियों के बैठने के लिए एक प्रेक्षागृह, अतिथि समागृह और ट्रस्ट कार्यालय के निर्माण का शुभारंभ महंत नृत्य गोपाल दास जी महाराज द्वारा शिलापट्ट का अनावरण करके किया गया।
इस फैसले के साथ ही अयोध्या में श्रीराम मंदिर के प्रति श्रद्धा एवं आस्था को नई दिशा मिल रही है। मंदिर के निर्माण और धार्मिक कार्यों के सिलसिले में हर निर्णय भक्तों के भले के लिए लिया जा रहा है, जिससे अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित, सुखद तथा भव्य अनुभव मिल सके।
'सलाह नहीं मानी, इसलिए गंवाया महाराष्ट्र..', राहुल गांधी पर किसने फोड़ा हार का ठीकरा?
नौकरी के बदले जमीन मामले में 30 के खिलाफ चार्जशीट, लालू परिवार का भी नाम
अपना ही लिखा संविधान क्यों जला डालना चाहते थे बाबा साहेब अंबेडकर?