आप सभी को बता दें कि हर साल मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय जयंती मनायी जाती है और आज दत्तात्रेय जयंती है. ऐसे में इस दिन ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का स्वरूप कहे जाने वाले दत्ता जी का जन्म हुआ था और आपको बता दें कि भगवान दत्तात्रेय का स्वरूप कुछ ऐसा है. उनकी छह भुजाएं और तीन मुख हैं और वह त्रिदेव के अंश हैं. इसी के साथ आज के दिन भगवान दत्ता के बाल्यरूप की आराधना करते हैं. वहीं पौराणिक मान्यता के मुताबिक़ एक बार मां पार्वती, लक्ष्मी और माता सरस्वती को अपने पतिव्रत धर्म पर बहुत अधिक अभिमान हो गया था। नारद मुनि तीनों देवियों के इस अभिमान को तोड़ना चाहते थे।
वे बारी-बारी से तीनों देवियों के पास गए और उनके सामने माता अनसूया के पतिव्रत धर्म का गुणगान किया। जब तीनों देवियों ने ये सुना तो उन्हें माता अनसूया से ईर्ष्या होने लगी। उन्होंने त्रिदेवों को ये कहा कि वे जाकर माता अनसूया के पतिव्रत धर्म को तोड़ें। देवियों की जिद में त्रिदेव माता अनसूया के पतिव्रत धर्म को तोड़ने के लिए पहुंच गए। इधर माता अनसूया को इसकी भनक लग गई। उन्होंने अत्रि ऋषि के चरणों का जल उन पर छिड़क दिया। इससे त्रिदेव अपने बाल रूप में आ गए।
अब माता अनसूया उन्हें संतान की तरह पालने लगीं। जब तीनों देवियों को अपनी गलती का अहसास हुआ तो तीनों ने माता अनसूया से क्षमा मांगी। माता ने कहा कि इन तीनों ने मेरा दूध पीया है, इसलिए इन्हें बालरूप में ही रहना होगा। यह सुनकर तीनों देवों ने अपने-अपने अंश को मिलाकर एक नया अंश पैदा किया, जिनका नाम दत्तात्रेय रखा गया। आपको बता दें कि आज के दिन दत्तात्रेय भगवान की आराधना करें और दत्तात्रेय स्त्रोत का पाठ भी करें. इसी के साथ आज के दिन मांस-मछली, शराब इत्यादि चीजों का सेवन न करें और दत्तात्रेय के पूजन के साथ ही आज के दिन तीनों देवताओं की पूजा करें.
दत्ता जयंती 2019 : भगवान दत्तात्रेय जयंती और दत्तात्रेय व्रत के अनुष्ठान