इतिहास के जब पन्ने पलटकर देखे जाते है तो बहुत सी अजीबोगरीब चीजें सामने आती है. जैसे आज रोम की एक अनोखी घटना बताते है, इसे पढ़ने के बाद आप खुद ही बताइएगा कि क्या सही है और क्या गलत ??
पुरातन रोम में एक व्यक्ति साइमन जोकि एक बुजुर्ग था को राजा के द्वारा आजीवन भूखे रहने की सज़ा सुनाई गई थी. उसे एक जेल में बंद कर दिया गया और वहां कड़ा पहरा लगा दिया गया. राजा ने यह हुक्म दिया कि जब तक वह शख्स मर नहीं जाता तब तक कोई भी ना उसे कुछ खाने के लिए दे और ना ही कुछ पीने के लिए. राजा के इस हुक्म का भी वहां के सैनिक बहुत पालन करते.
बुजुर्ग साइमन की एक बेटी पेरू थी. उसने राजा के सामने एक फरियाद पेश की कि उसके पिता बुजुर्ग है और अधिक दिनों तक जीवित नहीं रह पाएंगे इसलिए वह उसे अनुमति दे कि वह उनसे रोज़ मिल पाए. राज ने कहा कि उसे इससे कोई आपत्ति नहीं है और उसे रोज़ मिलने की इजाजत दे दी. वह रोज़ उसके पिता से मिलने जाने लगी. सैनिक उसकी तलाशी लेते और उसके पिता से मिलने देते. बहुत दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा.
जेलर ने कुछ दिनों बाद यह सोचा कि अब तो बुजुर्ग व्यक्ति बहुत कमजोर हो चूका होगा या मरने की कगार पर ही होगा. लेकिन उसने जब उसे देखने के लिए जेल का दरवाजा खोला तो देखा कि तीन हफ़्तों के बाद भी वह ठीक था. उसके मन में यह शक पैदा हो गया कि जरूर उसकी बेटी कुछ ना कुछ छुपाकर लाती है और अपने पिता को खिलाती है. इस शक को दूर करने के लिए एक दिन वह एक कोने में छुप गया और पिता पुत्री को देखने लगा.
उसने देखा कि वह लड़की कपड़ो में कुछ भी छुपाकर नहीं लाती है बल्कि वह अपने पिता को बड़ी ही चालाकी के साथ स्तनपान करवाती है. वह बेबस बाप चुपचाप अपनी बेटी की गोद में लेटकर दूध पीता था. जेलर को इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था. उसने दोनों को ऐसा करते हुए देख लिया था. पेरू जैसे ही जेल से बाहर निकली उसने उसे धार दबोचा और उसे भी अपने बाप के साथ बन्द कर दिया.
इस बात को सभी जगह फैलने मे अधिक समय नहीं लगा. जैसे ही राजा तक यह सूचना पहुंची वह आगबबूला हो गया और उसने दोनों को दरबार में पेश होने का हुक्म दिया. हर तरफ लोग यही कह रहे थे कि इस लड़की ने बाप-बेटी का पवित्र रिश्ता कलंकित किया है. इन दोनों को इसकी सख्त सजा दी जानी चाहिए. लेकिन वहां कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें यह घटना एक सकारात्मक दिशा की तरफ ले जा रही थी.
उनका कहना था कि वह बेटी अपने पिता से अपार प्रेम करती है और वह उन्हें किसी भी हाल में मरने नहीं देना चाहती. इसके चलते यह एक गुनाह नहीं बल्कि एक पुत्री का अपने पिता के लिए प्रेम दिखाई देता है. धीरे-धीरे लोगों ने भी इस पहलु पर ध्यान दिया और अपने विचारों को सकारात्मक किया. इसके बाद राजा ने ना केवल पेरू को रिहा कर दिया बल्कि साथ ही उसके पिता को भी दंडमुक्त कर दिया.
यह एक घटना थी लेकिन इस घटना से भी हमें कुछ सिखने को मिलता है. यकीन मानिए यदि किसी काम को सही भावना के साथ किया जाए तो चाहे वह काम समाज की नजरो में सही ना हो लेकिन महान जरूर कहा जा सकता है. यह घटना भी कुछ ऐसा ही दर्शाती है.