आज विश्व उपभोक्ता दिवस है.हर साल15 मार्च को उपभोक्ताओं के हित में आवाज़ उठाने और अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए यह विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है.15 मार्च 1983 को कंज्यूमर्स इंटरनेशनल संस्था ने इसकी शुरुआत की थी. सबसे पहले 15 मार्च 1962 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने उपभोक्ता अधिकारों को परिभाषित किया था. भारत में इसकी शुरुआत पहली बार सन 2000 में हुई थी.
गौरतलब है कि इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्व के सभी उपभोक्ताओं को उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए मिले अधिकारों से परिचित कराना है.खासतौर से बाज़ार में उपभोक्ताओं के साथ होने वाली धोखाधड़ी, मिलावटी सामान,कम नाप -तौल,अमानक वस्तुओं की बिक्री, गारंटी के बाद सेवा का न मिलना जैसे अन्य बिंदुओं पर उपभोक्ताओं को सजग बनाना भी है.
जहाँ तक भारत का सवाल है, तो हमारे यहां 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन वर्ष 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित हुआ था. 1991 और 1993 में हुए दो संशोधन के अलावा इसे व्यापक स्वरूप देने के लिए दिसंबर 2002 में फिर एक संशोधन किया गया और इसे 15 मार्च 2003 से लागू किया गया. इस अधिनियम के तहत उपभोक्ताओं को आठ अधिकार प्राप्त हैं,जो यह है - बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार,चुनने का अधिकार, सुनाई देने का अधिकार (सरकारी नीतियों के संदर्भ में अपनी राय को आवाज़ देने), निवारण का अधिकार,उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार और स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार शामिल हैं.
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