अमृतसर सिटी के जनक कहे जाने वाले गुरु राम दास का जन्म 24 September 1534 में हुआ था. गुरु रामदास का बचपन का नाम जेठा था. बचपन में ही उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया और उसके बाद वह 12 साल की उम्र में उनकी दादी को लेकर गोइंदवाल आ गए, जहाँ उनकी मुलाक़ात गुरु अमर दास से हुई. अमर दास ने उन्हें अपने घर में रख लिया और इस प्रकार गुरु रामदास उनकी मदद करने लगे. काफी समय सतह रहने के बाद गुरु अमर दास की बेटी ने गुरु रामदास से शादी कर ली.
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शादी के बाद गुरु रामदास गुरु अमरदास के परिवार का एक हिस्सा बन गए. उसके बाद गुरु रामदास सिखिस्म के पहले गुरु बने. गुरु अमरदास ने गुरु रामदास और अपने बेटे को सिक्खिम को सौंपा और दोनों को सिक्खिम का गुरु बना दिया. 1574 में गुरु रामदास ने भगवान की सेवा में जीवन लीन कर दिया. गुरु रामदास ने सिक्ख धर्म की प्रगति के लिए खूब सारे कार्य किए और उनकी कार्य सिक्ख धर्म के मील का पत्थर साबित हुए. सिक्ख धर्म के लिए गुरु रामदास बहुत ही महान ज्ञाता माने गए और उन्होंने सिक्ख धर्म का विस्तार किया.
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गुरु रामदास ने समाज को रूढिवादी परम्पराओं से दूर करने का परं लिया और वह इस काम में सफल भी हुए उन्होंने कई लोगों के दिलों में प्यार की भावना जागृत की. गुरु रामदास ने सिक्खों के लिए भजन-बन्दगी के एक स्थान का निर्माण भी किया, जिसे सिक्खों ने खूब पसंद किया. कई महान कार्यों को करने के बाद गुरु रामदास ने 1 September 1581 को अपने शरीर को त्याग दिया.
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