पृथ्वीराज कपूर ने हिंदी सिनेमा और भारतीय रंगमंच को एक नया रूप दिया. उन्हें इनके प्रमुख स्तंभकरों में गिना जाता है. पृथ्वीराज कपूर ही थे जिन्होंने मूक फिल्मों से ऊपर उठकर देश को पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' दी. इस फिल्म में मुख्य नायक की भूमिका में नज़र आए थे. इस आकर्षक नायक ने अपने दिलकश व्यक्तित्व के साथ 40 वर्षों तक फिल्म उद्योग पर राज्य किया.
पृथ्वीराज कपूर का जन्म 3 नवंबर 1906 को पाकिस्तान में पेशावर के एक मध्यम वर्गीय लेंडलार्ड परिवार में हुआ था. उन्होंने पेशावर पाकिस्तान के एडवर्ड कालेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की. परिवार के दबाव में उन्हें 13 दिसम्बर 1923 को 15 बरस की रामसरनी मेहरा शादी करनी पड़ी. उस वक़्त उम्र महज 17 साल की थी. उन्होंने बतौर अभिनेता मूक फ़िल्मो से अपना करियर शुरू किया. पृथ्वीराज ने सन् 1944 में मुंबई में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की, जो देश भर में घूम-घूमकर नाटकों का प्रदर्शन करता था. इन्हीं से कपूर ख़ानदान की भी शुरुआत हुई. उनके तीन बेटे राजकपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर ने हिंदी सिनेमा को एक नया आयाम दिया.
1960 में उन्होंने एक और ऐतिहासिक फिल्म मुगल-ए-आजम में अभिनय किया और मुगल शासक अकबर की भूमिका निभाई थी. उन्होंने करीब 50 फिल्मों में काम काम किया जिनमें मुग़ल-ए-आज़म (1960), आवारा (1951 फ़िल्म) ,सिकंदर (1941), आलमआरा (1931 फ़िल्म) ,विद्यापति (1937) ,कल आज और कल मुख्य हैं. उन्होंने ‘पैसा’ नामक फिल्म का निर्देशन करते हुए अपनी आवाज खो दी जिसके बाद उन्होंने फ़िल्में करना छोड़ दी थीं और 29 मई 1972 में उनका देहांत हो गया.
साल 1972 में उन्हें मृत्युपरांत दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाज़ा गया. पृथ्वीराज कपूर को कला क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1969 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
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