नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि एक समाज में अगर नागरिक को स्वतंत्रता नहीं मिलेगी तो तनाव पैदा होगा। जानकारी के अनुसार बता दें कि देश में जब सरकारें लोगों से डरती हैं तो वहां स्वतंत्रता होती है। इसके साथ ही बता दें कि जब लोग सरकार से डरते हैं तो वहां अत्याचार होता है, आजादी से कोई समझौता नहीं हो सकता। अगर आप किसी से आजादी छीन लेंगे तो यह वैसे ही होगा, जैसे बिना खुशबू का गुलाब। अगर कोई संविधान से छेड़छाड़ करता है, धोखा करता है तो वह भावी पीढ़ी का हक छीन रहा है।
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वहीं बता दें कि कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि मेरी राय है कि धर्म से जुड़े रीति रिवाज में कोर्ट का दखल नहीं हो सकता। सिखों के केश, कृपाण पर कोर्ट दखलअंदाजी नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत है। वहीं बता दें कि उधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। वहीं उन्होंने कहा कि आजकल मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने को देशद्रोह बताया दिया जाता है। लोग सवाल पूछने से डरने लगे हैं। क्या हम ऐसा बदलाव चाहते थे।
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गौरतलब है कि सिब्बल ने एक कार्यक्रम में शनिवार को कहा कि सांविधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर संकट पैदा करने वाला बदलाव खतरनाक है। देश को ऐसा बदलाव नहीं चाहिए जो अपने पीछे बर्बादी छोड़ जाए, जो संविधान की धज्जियां उड़ा दे और संविधानिक संस्थाओं का राजनीतिकरण कर दे। बदलाव भविष्य के लिए होता है, उन्नति के लिए होता है।
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