लॉकडाउन के चलते अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अपने घरों में है. सभी अपने अपने तरीके से लॉकडाउन समय को बिता रहे हैं. वहीं विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक विजेता पहलवान दीपक पूनिया की मां कृष्णा देवी का नौ अप्रैल को देहांत हो गया था. इसके बावजूद दीपक ने जरूरतमंदों को भोजन खिलाने की जिम्मेदारी संभाल रखी है. इस पहलवान का कहना है कि देश कोरोना संकट से गुजर रहा है और हम सब ने दूसरों की सहायता करनी चाहिए. ओलंपिक स्थगित हो चुका है और मां के देहांत के बावजूद पहलवान लोगों की सेवा में लगा है. तमाम मुद्दों पर अनिल भारद्वाज ने पहलवान दीपक पूनिया से विस्तार से चर्चा की.
लॉकडाउन में घर पर कैसे समय बिता रहे हो?: मेरे गांव के आस पास ऐसे बड़ी संख्या में लोग हैं जिनकों भोजन की जरूरत है. वह ज्यादातर दिहाड़ी श्रमिक हैं और उन्हें सहायता की जरूरत है. मैं हर रोज उन्हें भोजन वितरण कर सहयोग कर रहा हूं. मैंने निश्चिय किया है कि जब तक लॉकडाउन रहेगा, तब तक इन लोगों को भोजन हर रोज कराऊंगा. यह मेरा फैसला था और मेरे परिवार ने इसमें सहयोग किया. हर रोज भोजन बनाकर लोगों को खिलाने के लिए भेजते हैं.
जरूरतमंदों को भोजन कराने का प्लान कहां से आया?: - मैंने हालात देख और प्लान किया कि इन लोगों को भोजन की व्यवस्था की जाए. हमारे यहां ईट के भट्टों पर और अन्य जगह बड़ी संख्या में प्रवासी लोग हैं और उनके सामने भोजन की परेशानी सबसे बड़ी थी. यहां के लोगों ने उन्हें जाने नहीं दिया और कहा कि भोजन मिलेगा, इस लिए लॉकडाउन में कहीं पर ना जाए. मेरे की तरह अन्य लोग भी लोगों की सहायता कर रहे हैं.
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