उज्जैन । “हाथ लकड़िया चन्दन की, जय बोलो यशोदानन्दन की” का उद्घोष करते हुए पंचक्रोशी यात्री पंचक्रोशी यात्रा पर निकल पड़े हैं। 26 अप्रैल तक चलने वाली इस यात्रा में पंचक्रोशी यात्रियों का कारवा करोहन पड़ाव पर पहुंच गया है। हजारों की संख्या में यात्री अपनी-अपनी जरूरत का सामान सिर पर लेकर भगवान भोले की भक्ति से ओतप्रोत होकर चिलचिलाती धूप में प्रतिदिन 20 से 25 किलो मीटर की यात्रा कर रहे हैं।
धूप से बचने के लिये यात्री आमतौर पर सुबह जल्दी एवं देर रात तक पदयात्रा करते हैं। पंचक्रोशी यात्रियों का कारवा 21 अप्रैल को कायावरोहणेश्वर करोहन पड़ाव पर पहुंच गया और यहां उन्होंने अपना डेरा जमाते हुए मालवा के प्रसिद्ध व्यंजन दाल-बाटी बनाकर भोजन किया एवं विश्राम किया। रात्रि में पड़ाव स्थल पर दूर-दूर तक श्रद्धालु ही श्रद्धालु नजर आ रहे थे। भगवान की भक्ति में लीन इन श्रद्धालुओं को न तो आरामदायक बिछोने की आवश्यकता महसूस हुई न ही सिर में ऊपर छत की। खुले आसमान एवं खेतों में सोए हुए श्रद्धालु केवल और केवल ईश्वर भक्ति में लीन दिखाई पड़ रहे थे।
देर रात तक भजन-कीर्तन चले
पिंगलेश्वर एवं करोहन पड़ाव स्थलों पर ठहरे हुए श्रद्धालुओं के साथ कई भजन मण्डलियां भी चल रही हैं, जो हार्मोनियम, तबला एवं अन्य वाद्यों के साथ भजन का अदभुत समां बांध रही है। ढोलक की थाप पर क्या स्त्री क्या पुरूष सभी श्रद्धालु छोटी-छोटी गय्या, छोटे-छोटे ग्वाल गीत पर नृत्य कर अपने आपको भूलकर केवल ईश्वर की आराधना में लगे हुए हैं।