भारत में बीते दिनों संपन्न हुए विधानसभा चुनाव 2020 में कांग्रेस को बहुत बुरी पराजय मिली है. लगातार दूसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस शन्यू पर सिमट गई है. इस बीच लगातार पार्टी नेता ही एक-दूसरे पर हमले बोल रहे हैं. कांग्रेस ने बड़े जोर-शोर से सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर मुस्लिमों का समर्थन किया. बावजूद इसके मुस्लिमों ने कांग्रेस को नकार दिया. दिल्ली विधानसभा के लिए मुस्लिम मतदाताओं ने पिछली बार की तरह आप को ही समर्थन दिया है. मालूम हो कि दिल्ली में करीब 22 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं, जो कांग्रेस के साथ नहीं आए. ओखला, सदर बाजार, मटियामहल, बल्लीमारान व चांदनी चौक जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में आप को लेकर लोगों का रुझान साफ नजर आया. इसके अलावा ओखला, सीमापुरी, सीलमपुर व बाबरपुर में भी कांग्रेस बुरी तरह हार गई.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कांग्रेस की जबर्दस्त हार के पीछे एक प्रमुख वजह यह भी रही कि पार्टी सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नाम और काम के सहारे चुनाव लड़ रही थी। इससे इतर कांग्रेस के पास ठोस मुद्दों का पूरी तरह अभाव था. यहां तक कि पार्टी शीला की मौत के बाद इससे आगे कुछ नहीं सोच पाई.
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15 साल दिल्ली में पार्टी के चुनावी एजेंडे में मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों के अलावा सीएए और एनआरसी का ही मुददा था. लेकिन, यह दोनों ही जनता के लिए बेमानी साबित हुए. पार्टी के पास न तो नया विजन था और न ही मजबूत जनाधार वाले प्रत्याशी. हैरत की बात यह है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी दिल्ली के चुनाव और प्रचार में कोई रुचि नहीं ली. अस्वस्थ होने के कारण सोनिया गांधी जहां पूर्व निर्धारित एकमात्र जनसभा भी नहीं कर सकीं.
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