दिल्ली विधानसभा चुनाव निकट है, चुनाव को जीतने के लिए लगभग सभी पार्टीयों ने अपने कम कस ली है. बता दे कि दिल्ली विधानसभा में कभी जनता दल के चार सदस्य हुआ करते थे. चार से दो और एक होते हुए पिछले चुनाव में यह आंकड़ा शून्य पर आ टिका.हालत यह हुई कि 2015 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और लोक जनशक्ति पार्टी जैसी पार्टियों ने अपना उम्मीदवार ही नहीं उतारा. इस बार बिहार से जुड़े सभी दल उम्मीदवार खड़ा करने का दावा कर रहे हैं. हालांकि, हरेक चुनाव में बिहार के दलों से चुनाव में चुनाव जीतने वाले शोएब इकबाल अब आम आदमी पार्टी में हैं. शोएब एकीकृत जनता दल, जेडीयू और एलजेपी के टिकट पर मटिया महल विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक बने.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि 1993 में दिल्ली विधानसभा के पहले चुनाव में जनता दल के चार विधायक थे. बदरपुर से रामसिंह बिधुड़ी, मटिया महल से शोएब इकबाल, ओखला से इमरान परवेज और सीलमपुर से मतिन अहमद. उस समय लालू प्रसाद , नीतीश कुमार , रामविलास पासवान और शरद यादव एक साथ थे.अगला चुनाव 1998 में हुआ. तबतक जनता जनता दल से निकल कर आरजेडी नया दल बन चुका था. आरजेडी और जनता दल के उम्मीदवार खड़े हुए. मटिया महल सीट पर एकबार फिर जनता दल को कामयाबी मिली. उम्मीदवार शोएब इकबाल ही थे.
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2003 का विधानसभा चुनाव शोएब जनता दल उम्मीदवार की हैसियत से जीते थे. समता पार्टी के विलय के बाद जदयू बन गया. 2008 के चुनाव में शोएब इकबाल एलजेपी के टिकट से तो आसिफ मो. खान आरजेडी उम्मीदवार की हैसियत से जीते. आरजेडी की जीत ओखला सीट पर हुई थी. उस चुनाव में जेडीयू-आरजेडी के 11-11 और एलजेपी के 43 उम्मीदवार खड़े थे. वोटों का आंकड़ा भी दिलचस्प है. जेडीयू को 3047, एलजेपी को 83184 और आरजेडी को 39143 वोट मिले थे. शोएब इकबाल दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष बने.
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