सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल सरकार की ‘ऑड-इवेन’ योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा. याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह योजना मनमानी और कानूनी प्रावधानों के विपरीत है तथा राजनीतिक और वोट बैंक के हथकंडे के अलावा यह कुछ नहीं है. यह याचिका नोएडा निवासी अधिवक्ता ने दायर की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस योजना के बारे में दिल्ली सरकार की एक नवंबर की अधिसूचना से मौलिक अधिकारों का हनन होता है.
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इस मामले को ध्यान में रखकर याचिका में कहा गया है कि ऑड-इवेन वाहन योजना दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के निवासियों के मौलिक अधिकारों का हनन करती है. पड़ोसी राज्यों से रोजाना हजारों लोग नौकरी के सिलसिले में अपने वाहनों से दिल्ली आते हैं.
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इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि ऑड-इवेन योजना नागरिकों के नौकरी और कारोबार करने तथा बगैर किसी बाधा के देश में कहीं भी जाने के मौलिक अधिकार का हनन करती है. ऑड-इवेन योजना के बारे में दिए गए तर्कों पर सवाल उठाते हुए याचिका में कहा गया है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता के बारे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित तीन स्नोतों के आंकड़ों ने पुष्टि की है कि पहले भी लागू की गई इस योजना से राजधानी में प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आई थी. न्यायालय ने अतीत में लागू की गई ऑड-इवेन योजना के तहत प्रदूषण में आई कमी के नतीजों का विवरण पेश करने का निर्देश दिल्ली सरकार को दिया था.
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