एक गांव जहां सब है बाउंसर

एक गांव जहां सब है बाउंसर
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नई दिल्ली- असोला फतेहपुर बेरी, दिल्ली के नजदीक में पड़ने वाला एक ऐसा गांव है. जहां पर हर कोई बाउंसर बनता है. इस गांव से निकले हुए हजारों बाउंसर दिल्ली के पब्स और क्लब की देखभाल करते हैं. यहाँ के युवा बाउंसर, रेसलर बनना पसंद करते है. असोला से एक दो नहीं बल्कि यहाँ के 80 प्रतिशत से ज्यादा युवा इसी फिल्ड में कॅरियर बनाते है.

असोला गांव में पैदा होने वाले रेसलर आगे चलकर दिल्ली के क्लबों के बाउंसर बनते हैं और दस हजार से पचास हजार रूपए महीने की सैलरी पाते हैं. यहां लगभग हर व्यक्ति बचपन से ही जिमिंग करना शुरू कर देता है जिसके बाद वह बड़े हो कर रेसलर बन जाते हैं. इस गांव से ऐसे कई लड़कियां भी हैं जो रेसलिंग करती हैं. यहां के गांव में लड़कों को ज्यादा पढ़ने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस गांव के लड़के ज्यादा ताकतवर बन कर दिल्ली के क्लबों की रक्षा करते हैं. इसके लिए उन्हें पढ़ाई की नहीं बल्कि ताकत की जरूरत होती है.

इस गांव के लगभग हर घर से कोई ना कोई रेसलर या दिल्ली के क्लबों का बाउंसर है. उन्हें दिल्ली के क्लबों में आसानी से जॉब मिल जाती है. वहां के लड़के बचपन से ही बाउंसर बनने के लिए जी तोड़ मेहनत करके खुद को ताकतवर बनाते हैं और दिल्ली के ख्वाबों की रक्षा करते हैं.

 

 

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