नई दिल्ली: दिल्ली की एक कोर्ट में बुधवार (2 फरवरी 2022) को जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के पूर्व छात्रनेता उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। खालिद पर दिल्ली दंगों के मामले में IPC और UAPA के तहत केस दर्ज किया गया है। दिल्ली पुलिस की तरफ से आज कोर्ट में पेश हुए स्पेशल पब्लिक प्रोसेक्यूटर अमित प्रसाद ने हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों के आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के सामने और कई महत्पूर्ण सबूत पेश किए।
At a meeting @UmarKhalidJNU told Gul during a meeting “Sarkar musalmano ke khilaaf hai, bhashan se kaam nahi chalega, khoon bahana padega”: Prosecutor reads a statement by witness #Delhiriots pic.twitter.com/llJXLY8MWJ
— LawBeat (@LawBeatInd) February 2, 2022
अभियोजक ने 15 और 16 जनवरी 2020 को चाँदबाग में हुई एक बैठक को लेकर चर्चा करते हुए अपनी दलीलें दी। उन्होंने कहा कि एक गवाह ने बताया है कि, 'विरोध प्रदर्शन के लिए डंडे, पत्थर, लाल मिर्च और तेजाब जमा किए गए थे।' जिस विरोध प्रदर्शन को उमर खालिद जैसे आरोपित शांतिपूर्ण बता रहे थे, उस विरोध के लिए इन चीजों को जमा करने का क्या मकसद था। उन्होंने आगे कहा कि गवाह ने यह भी बताया था कि साजिशकर्ताओं ने महिलाओं और पुरुषों को जमा कर उन्हें लाठी, पत्थर इत्यादि उपलब्ध कराए थे।
At a meeting @UmarKhalidJNU told Gul during a meeting “Sarkar musalmano ke khilaaf hai, bhashan se kaam nahi chalega, khoon bahana padega”: Prosecutor reads a statement by witness #Delhiriots pic.twitter.com/llJXLY8MWJ
— LawBeat (@LawBeatInd) February 2, 2022
अमित प्रसाद ने सवाल करते हुए कहा कि, आखिरकार लाठी, डंडे और लाल मिर्च के साथ किया गया विरोध प्रदर्शन किस तरह शांतिपूर्ण हो सकता है? इस दावे की पुष्टि करने के लिए कि उमर खालिद ने सांप्रदायिक दंगों का एक बड़ा षड्यंत्र रचा था, SSP अमित प्रसाद ने एक प्रत्यक्षदर्शी गवाह का बयान पढ़ा, जिसने पुष्टि की थी कि उमर खालिद ने एक बैठक के दौरान कहा था कि, 'सरकार मुसलमानों के खिलाफ है, भाषण से काम नहीं चलेगा, हमें खून बहाना होगा।' दिल्ली दंगों में उमर खालिद की भूमिका और साजिश को साबित करने के लिए अमित प्रसाद ने कड़कड़डूमा कोर्ट में कई वॉट्सऐप चैट, गवाहों के बयान और CCTV फुटेज भी पेश किए। इनमें स्पष्ट दिख रहा है कि उमर खालिद ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बहाने दंगे भड़काने की सुनियोजित साजिश रची थी।
Prosecutor plays CCTV and his moot point is to substantiate collection of lathis and mobilisation in Chand Bagh Area on 24.02.20. “These are people preparing lathis for a ‘peaceful protest’,” he says #DelhiRiots pic.twitter.com/Fqgt3yBwrQ
— LawBeat (@LawBeatInd) February 2, 2022
प्रसाद ने कोर्ट को आगे बताया कि जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (JCC) और दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (DPSG) समेत कई व्हाट्सएप ग्रुपों को विरोध करने वाले स्थानों के संबंध में एक दूसरे से संपर्क करने के लिए बनाया गया था। उन्होंने कहा कि जामिया जागरूकता अभियान दल भी विरोध करने वाली जगहों के बारे में जानने और लोगों को अपनी साजिश का हिस्सा बनाने के लिए किया गया था। प्रसाद ने अदालत में साक्ष्य के रूप में दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (DPSG) के उस मैसेज का स्क्रीनशॉट भी साझा किया गया, जिसमें लिखा है कि, 'आग लगाने की पूरी तैयारी है।' यह मैसेज 16 और 17 फरवरी 2020 को एक ओवैस सुल्तान खान नामक व्यक्ति ने किया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2020 की शुरुआत में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के हिंदू विरोधी दंगों के सिलसिले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने JNU के पूर्व स्टूडेंट उमर खालिद के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। 100 पन्नों के आरोपपत्र में उमर खालिद पर दिल्ली की सड़कों पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने, देश विरोधी भाषण देने और अन्य आपराधिक धाराओं के तहत इल्जाम लगाए गए थे। कट्टरपंथी मुस्लिम और हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों के आरोपित उमर खालिद ने कथित तौर पर पुलिस के समक्ष स्वीकार किया है कि वह मुस्लिम समूहों को संगठित करने, उन्हें उकसाने और बड़े स्तर पर हिंसा की साजिश रचने में शामिल था।
See the level of pressure that this group can create and see the message on group by Khalid Saifi: Prosecutor pic.twitter.com/lAm2eOFAPP
— LawBeat (@LawBeatInd) February 2, 2022
बता दें कि गत वर्ष उमर खालिद ने खुद अपने आरोपों को स्वीकार किया था कि उसने मुस्लिम संगठनों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। खालिद ने दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों में मुस्लिमों को नए कानून के विरुद्ध भड़का कर हिंसा की साजिश रचने और महिलाओं व बच्चों का उपयोग कर पूरी दिल्ली में चक्का जाम करने से जुड़े भी कई खुलासे किए थे। बता दें कि इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक लोग जख्मी हुए थे. अब ऐसे में ध्यान देने वाली बात यह है कि उमर खालिद ने प्रदर्शनकारियों को तो दंगे भड़काने की तैयारी के रूप में पहले ही हथियार मुहैया करा दिए थे, वहीं दूसरा पक्ष जिसे, ऐसा कुछ होने की भनक भी नहीं थी, जो यह सोचकर बेखबर था कि कुछ लोग केवल बैठकर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उस दूसरे पक्ष का दंगों में क्या हाल हुआ होगा ?
NIA ने ISIS केरल मॉड्यूल के संबंध में 8 लोगों के खिलाफ आरोप दायर किए
असम: ओरंग नेशनल पार्क से भटका बाघ बोरसोला में पकड़ा गया
मंडाविया कहते हैं,बजट राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करेगा