नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने स्कूलों में कोरोना से निपटने की तैयारी कर ली है। जी हाँ और सरकार ने स्कूल बिना बंद किए इस महामारी से कैसे लड़ा जाए इसके लिए नई गाइडलाइन तैयार की है। आप सभी को बता दें कि इसमें स्कूलों में अलग से क्वारंटीन रूम बनाने से लेकर शिक्षकों द्वारा रोजाना बच्चों से उनका और उनके परिवार का हाल पूछने तक जैसे नियम शामिल हैं। जी दरअसल दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में बीते दिनों फैसला लिया गया था कि अब राजधानी के स्कूल कोरोना के चलते बंद नहीं किए जाएंगे बल्कि नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर को तैयार किया जाएगा। जी हाँ और इस एसओपी के आधार पर ही स्कूलों में कोरोना से निपटने की तैयारी होगी। अब इसी के तहत दिल्ली सरकार ने आज सात बिंदुओं वाली एसओपी जारी की है। हम आपको उन्ही के बारे में बताने जा रहे हैं।
जनरल गाइडलाइन-
* हेड ऑफ स्कूल शिक्षकों और अभिभावकों से नियमित रूप से बैठक करें और कोरोना की रोकथाम को लेकर चर्चा करें। साथ ही बच्चों व अभिभावकों में टीकाकरण को प्रेरित करें।
* जब भी जरूरी हो हेड ऑफ स्कूल अभिभावकों व टीचरों के साथ बच्चों के अटेंडेंस और उनमें आत्मविश्वास लाने के लिए भी बैठक करें।
* सभी स्टाफ और बच्चों का टीकाकरण हो ये स्कूल की सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
* स्कूल में यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी उचित रूप से मास्क पहन रहे हैं।
* वाश बेसिन व पानी का स्कूलों में पर्याप्त इंतजाम होना चाहिए।
* हेड ऑफ स्कूल की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों के प्रवेश और निकलने के समय सभी द्वार पर यह ध्यान रखें कि भीड़-भाड़ न होने पाए।
* बच्चों को उनका लंच शेयर करने से मना किया जाए।
* कॉमन एरिया का बार-बार सैनिटाइजेशन सुनिश्चित किया जाए।
* क्लासरूम आदि जगह भी बार-बार साफ हो।
* एंट्री गेट पर भी सैनिटाइजेशन की सुविधा हो।
रोज कोरोना के लक्षणों की जांच- यह भी कहा गया है कि स्कूल की जिम्मेदारी है कि वह इन लक्षणों की जांच बच्चों और शिक्षकों में जरूर करें-
बुखार होना या ठंड लगना
खांसी
सांस लेने में तकलीफ
चक्कर आना
मसल या शरीर में दर्द होना
सिरदर्द
स्वाद या महक का न आना
गले में खराश
नाक बहना या जाम होना
जी मिचलाना या उल्टी आना
डायरिया, और अगर कोई भी ऐसे लक्षण दिखाए तो उसे बाकी लोगों से अलग कर दें और क्वारंटीन रूम में शिफ्ट कर दें। इस दौरान किसी भी बच्चे या शिक्षक व अन्य स्टाफ में ऐसे लक्षण मिले तो जोनल या डिस्ट्रिक्ट अधिकारी को खबर करें ताकि अस्थायी तौर पर स्कूल को बंद किया जाए।
हेल्थ एंड सेफ्टी गाइडलाइन-
* एंट्री गेट पर स्टाफ तैनात हो ताकि वहीं से कोविड लक्षण वाले बच्चों या स्टाफ को घर भेजा जा सके।
* गेट पर ही छात्रों से लेकर शिक्षक तक सबकी थर्मल स्कैनिंग हो।
* स्कूल, क्लास रूम, लैब और वाशरूम आदि में प्रवेश करते समय ही हाथ साफ करना अनिवार्य।
* अभिभावकों से अनुरोध होगा कि अगर उनके घर में किसी को कोविड के लक्षण हों तो बच्चे को स्कूल न भेजें।
* स्कूल अटेंडेंस के समय रोजान शिक्षक बच्चों से कोविड को लेकर बात करेंगे।
क्वारंटीन रूम- इसके अलावा हर स्कूल में एक क्वारंटीन रूम होना ही चाहिए ताकि इमरजेंसी के वक्त में इसका इस्तेमाल हो सके।
शारीरिक दूरी का ध्यान- इसी के साथ बच्चों को स्कूल में शारीरिक दूरी बनाने के लिए प्रेरित करना होगा, और उन्हें कहीं भी ज्यादा संख्या में इकट्ठा नहीं होने देना है।
कैंपस की गेस्ट पॉलिसी- हर दिन होने वाले गेस्ट विजिट को रोका जाए। इसके अलावा इमरजेंसी के टाइम में अभिभावकों को कोविड के अनुसार ही उचित व्यवहार करना होगा।
जागरूकता फैलानी होगी- स्कूल की सभी प्रमुख जगहों पर कोविड से बचाव को लेकर पोस्टर आदि लगाने होंगे।
कोरोना के खिलाफ सबसे असरदार है ये दवा, WHO ने बताया कौन ले सकता है?
बढ़ते जा रहे कोरोना संक्रमण के मामले, दिल्ली में मिला एक और नया वैरिएंट
दिल्ली में 18+ लोगों को मुफ्त लगेगी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज़, केजरीवाल सरकार का ऐलान