तिहाड़ जेल में शिक्षक भर्ती घोटाले में सजा काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की चुनौती याचिका पर बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति मनमोहन व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने जल्द रिहाई के आवेदन को खारिज करने के दिल्ली सरकार के फैसले को रद करते हुए निर्देश दिया कि ओपी चौटाला की याचिका पर नए सिरे से सुनवाई करे. ओपी चौटाला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उम्र और दिव्यांगता के आधार पर जेल से रिहाई की मांग की थी. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 16 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अधिवक्ता अमित साहनी के माध्यम से दायर याचिका में ओपी चौटाला ने केंद्र सरकार के 18 जुलाई, 2018 की अधिसूचना के हवाले से दलील दी थी. अधिसूचना के तहत 60 साल से ज्यादा उम्र पार कर चुके पुरुष, 70 फीसद दिव्यांग अगर अपनी आधी सजा काट चुके हैं तो राज्य सरकार रिहाई पर विचार कर सकती है. याचिका में चौटाला ने कहा कि उनकी उम्र 83 साल की हो गई है और भ्रष्टाचार के मामले में वे सात साल की सजा काट चुके हैं.
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इस मामले को लेकर याचिका में चौटाला ने कहा था कि वह अप्रैल 2013 में 60 फीसद दिव्यांग हो चुके थे और जून 2013 में पेसमेकर लगाए जाने के बाद से वह 70 फीसद से ज्यादा दिव्यांग हो चुके हैं. इस तरह से वे जल्दी रिहाई की सभी शर्तो को पूरा कर रहे हैं. इसे देखते हुए उन्हें अब रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए दिल्ली सरकार ने सुनवाई में कहा था कि क्योंकि यह भ्रष्टाचार का मामला है और भारत सरकार की जिस अधिसूचना के तहत चौटाला राहत की मांग कर रहे हैं वह इस पर लागू नहीं होता. चौटाला के अधिवक्ता अमित साहनी ने दलील दी थी कि उनके मुवक्किल को अधिसूचना का लाभ मिलना चाहिए क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में उनकी सात साल की सजा पूरी हो चुकी है. ऐसे में समयपूर्व रिहाई करने की मांग को दिल्ली सरकार द्वारा खारिज करना न्यायसंगत नहीं है.
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