HC ने खारिज की सार्वजनिक स्थलों पर देवी-देवताओं की फोटो न लगाने की याचिका

HC ने खारिज की सार्वजनिक स्थलों पर देवी-देवताओं की फोटो न लगाने की याचिका
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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका को आज यानी सोमवार को खारिज कर दिया है। जी दरअसल इस याचिका में सार्वजनिक स्थलों पर लोगों को पेशाब करने, थूकने या गंदगी फैलाने से रोकने के लिए दीवार पर देवी-देवताओं की तस्वीर लगाने की परिपाटी को रोकने का अनुरोध किया गया था। वहीं इस मामले में पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया है। जहां पीठ ने पहले दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

आपको बता दें कि इस याचिका में कहा गया था कि, 'यह आम परिपाटी हो गई है कि पेशाब करने, थूकने एवं कूड़ा डालने से रोकने के लिए दीवार पर देवी-देवताओं की तस्वीर लगा दी जाती है, जोकि समाज में गंभीर खतरा पैदा करते हैं, क्योंकि इन तस्वीरों को लगाना उन गतिविधियों को रोकने की गांरटी नहीं है, बल्कि लोग सार्वजनिक तौर पर इन पवित्र तस्वीरों पर पेशाब करते हैं या थूकते हैं।' आपको यह भी बता दें कि, इससे पहले इस याचिका पर पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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क्या है मामला?- जी दरअसल याचिकाकर्ता और अधिवक्ता गौरांग गुप्ता ने कहा, ''यह पवित्र तस्वीरों की पवित्रता को भंग करता है। भय का इस्तेमाल लोगों को पेशाब करने या थूकने से रोकने के लिए किया जाता है। इस दौरान अपने धर्म में आस्था और उसे मानने की स्वतंत्रता से पैदा हुई भक्ति के भाव के मद्देनजर इस तरह के कामों की अनुमति नहीं दी जा सकती।''

इसी के साथ ही याचिका में कहा गया है कि सार्वजनिक स्थलों पर पेशाब करने, थूकने या कूड़ा फेंकने से रोकने के लिए दीवार पर पवित्र तस्वीरों को लगाना भारतीय दंड संहिता की धारा- 295 और 295 ए का उल्लंघन है, क्योंकि इससे आम जनता की भावना आहत होती है। इसके अलावा याचिका में यह भी कहा गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले के एक मामले में खुले में पेशाब करने की समस्या को स्वीकार किया था।

वहीं आदेश में कहा था कि दीवारों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें लगाने की प्रथा के कारण लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं। आप सभी को यह भी पता हो कि भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 295, 295ए के साथ-साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है, चूंकि, यह बड़े पैमाने पर आम जनता की धार्मिक भावनाओं को नुकसान पहुंचा रहा है।

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