नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक बड़ा फैसला देते हुए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य पर रोक लगाए जाने से मना कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत निर्माण कार्य को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह एक जनहित याचिका नहीं थी। उच्च न्यायालय ने निर्माण कार्य पर रोक लगाने से मना करते हुए कहा कि चूंकि श्रमिक साइट पर रह रहे हैं, इसलिए निर्माण कार्य को स्थगित करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। अदालत ने कहा कि चिंता का विषय DDMA का आदेश कहीं भी निर्माण कार्य को प्रतिबंधित नहीं करता है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय महत्ता से जुड़ा बेहद आवश्यक प्रोजेक्ट है। इसे अलग रखकर नहीं देखा जा सकता है।
बता दें कि अनुवादक अन्या मल्होत्रा और इतिहासकार और वृत्तचित्र फिल्म निर्माता सोहेल हाशमी की संयुक्त याचिका पर 17 मई को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। दोनों ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि परियोजना एक जरुरी कार्य नहीं है और इसे कुछ समय के लिए रोका जा सकता है। दूसरी ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की थी।
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