नई दिल्ली: दिल्ली में बुधवार यानी 26 मई को नए कृषि कानून के विरुद्ध पंजाब के किसानों द्वारा आयोजित मार्च पर रोक लगाने से दिल्ली उच्च न्यायालय ने मना कर दिया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि किसानों से संबंधित मामलों को शीर्ष अदालत देखा रहा है और हाईकोर्ट इससे जुड़े मसलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और जसमीत सिंह की बेंच ने कहा कि यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, जिसे हम देख रहे हैं। बेंच ने कहा कि हम यहां किसानों के आंदोलन से निपटने के लिए नहीं हैं, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोरोना संक्रमण के संभावित तीसरी लहर की तैयारियों की देखरेख को लेकर हो रही सुनवाई के दौरान पीठ के समक्ष 26 मई को किसानों द्वारा दिल्ली में आयोजित होने वाले विरोध मार्च का जिक्र करते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की गई। इसके बाद पीठ ने उपरोक्त टिप्पणी की। जानकारी के मुताबिक, 26 मई को केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के छह महीने पूरे हो रहे हैं और इसके मद्देनजर भारतीय किसान संघ ने किसानों से राजधानी तक मार्च निकालने का आह्वान किया है।
वकील धनंजय ग्रोवर ने बेंच के सामने मामले का जिक्र करते हुए कहा कि 26 मई को 6 महीने को पूरे होने पर किसान राजधानी में विरोध मार्च निकालेंगे। साथ ही कहा कि फसल का मौसम समाप्त होने से काफी संख्या में इसमें किसान हिस्सा ले सकते हैं। वकील ने कहा कि किसानों के विरोध मार्च के कारण कई बाधाएं हो सकती हैं और उसमें ऑक्सीजन की सप्लाई प्रमुख होगी।
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