नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में जेल मंत्री रहे सत्येंद्र जैन को उच्च न्यायालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले का कर्ताधर्ता करार दिया है। स्पष्ट शब्दों में कहा है कि क्या करना है, कैसे करना है, यह सब कुछ जैन के दिमाग की उपज थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी 6 अप्रैल 2022 को आम आदमी पार्टी (AAP) नेता जैन की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की। इसके साथ ही अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।
Satyameva Jayate
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) April 6, 2023
Corruption degree of Kejriwal is out again
Once again Delhi HC now denies bail to Satyendra Jain. He is in jail for last 10 months - is this vendetta ?
Manish Sisodia in jail too & denied relief by courts ; called key architect of Sharab ghotala
How long… pic.twitter.com/y9XBT9Myl4
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने 46 पन्नों के आदेश में कहा है कि सत्येंद्र जैन या उनका परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उन कंपनियों को कंट्रोल कर रहा था, जिनका उपयोग मनी लाॅन्ड्रिंग में किया गया। इसके साथ ही कहा है कि वे बाहर निकलने पर अपने रसूख का इस्तेमाल सबूतों से छेड़छाड़ करने में कर सकते हैं। इसी आधार पर सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका ठुकरा दी गई। उच्च न्यायालय ने कहा है कि, 'पंकुल अग्रवाल की गवाही से जाहिर है कि मेसर्स जेजे आइडियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड पर सत्येंद्र कुमार जैन का पूरा कंट्रोल है। इसी प्रकार राजेंद्र बंसल, जीवेंद्र मिश्रा, आशीष चोखानी और जेपी मोहता की गवाही से पता चलता है कि सत्येंद्र कुमार जैन इस पूरे अभियान के बारे में सोचने वाले, फैसला करने वाले और अंजाम देने वाले थे। इसमें वैभव जैन और अंकुश जैन ने उनकी सहायता की।'
कोर्ट के आदेश में आदेश में केजरीवाल सरकार में जेल मंत्री रहे सत्येंद्र जैन के लिए conceptualizer, visualizer and executor शब्द का उपयोग किया गया है। स्पष्ट शब्दों में कहें, तो उच्च न्यायालय ने जैन को मनी मनी लॉन्ड्रिंग मामले का कर्ताधर्ता करार दिया है। बता दें कि अदालत ने सत्येंद्र जैन के साथ मामले के दो अन्य आरोपित वैभव जैन और अंकुश जैन को भी जमानत देने से इनकार कर दिया था। सत्येंद्र जैन ने जमानत माँगते हुए तर्क दिया था कि किसी प्रकार की संपत्ति पर उनका नियंत्रण नहीं है। मगर, अदालत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग से हुई आमदनी पर नियंत्रण जरूरी नहीं है। ऐसा आमदनी को छिपाने या फिर काले धन को कानूनी रूप देने के लिए भी किया गया हो, सकता है।
बता दें कि, आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सत्येंद्र जैन मई 2022 से तिहाड़ जेल में कैद हैं। इससे पहले लोअर कोर्ट ने भी सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका ठुकरा दी थी। लोअर कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि प्रथमदृष्टया यह सामने आया है कि सत्येंद्र जैन ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आय छिपाने का प्रयास किया। लोअर कोर्ट के इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए सत्येंद्र जैन ने कहा था कि उनके खिलाफ कोई केस नहीं बनता। इसके बाद भी वह जाँच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। चार्जशीट फाइल होने के बाद भी उन्हें जेल में रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।
बता दें कि, केजरीवाल के करीबी माने जाने वाले सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 30 मई 2022 को अरेस्ट किया था। तब से वह जेल में ही कैद हैं। उन्हें जमानत भी नहीं मिल रही है, दरअसल, ED के सवालों से बचने के लिए AAP नेता जैन ये भी कह चुके हैं कि उनकी याददाश्त जा चुकी है और उन्हें कुछ भी याद नहीं। जैन की गिरफ्तारी कोलकाता की एक कंपनी से संबंधित हवाला लेनदेन के मामले में हुई थी। ED ने अपनी जाँच में पाया है कोलकाता की कंपनियों के साथ उन्होंने अवैध रूप से 4.81 करोड़ रुपए का अवैध ट्रांसक्शन किया है। इस मामले में ED जैन की 4.81 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर चुकी है। यह भी GAUR करने लायक है कि, जब जैन के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई थी, तो केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर जाँच एजेंसियों के दुरूपयोग का इल्जाम लगाया था और कहा था कि, जैन को झूठे केस में फंसाया जा रहा है। यही नहीं, केजरीवाल ने जैन को कट्टर ईमानदार बताते हुए उनके लिए पद्मविभूषण तक की मांग कर डाली थी, हालाँकि, अब कोर्ट ने तमाम सबूतों को देखने के बाद सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्डरिंग का कर्ताधर्ता बता दिया है। ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि, सीएम केजरीवाल अब कोर्ट की इस टिप्पणी पर क्या बोलते हैं ?
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