नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय समलैंगिक जोड़ों को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगा. इससे पहले मामले की सुनवाई 24 मई को हुई थी, जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उस वक़्त मौजूदा कोरोना वायरस स्थिति के कारण अस्थायी रोक की मांग की थी. इसके बाद मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ और जस्टिस सी हरिशंकर की पीठ ने मामले की सुनवाई 6 जुलाई के लिए स्थगित कर दी.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि LGBT समुदाय के सदस्य अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने की अपनी भावनाओं को दबाने के लिए विवश हैं. दलीलों में उन्होंने ये भी कहा है कि LGBT समुदाय को विवाह करने का विकल्प देने से मना करना भेदभावपूर्ण है और ये उन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक बनाता है. वहीं, केंद्र सरकार इस मामले का ये कहते हुए विरोध कर रहा है कि याचिकाएं अस्थिर और गलत हैं और साथ ही केंद्र ने उन्हें खारिज करने की मांग की है. केंद्र ने दलील दी है कि विवाह अनिवार्य रूप से दो लोगों का एक सामाजिक रूप से मान्यता प्राप्त संघ है, जो या तो असंबद्ध व्यक्तिगत कानूनों या संहिताबद्ध वैधानिक कानूनों द्वारा शासित होता है.
याचिकाओं के जवाब में दिल्ली उच्च न्यायालय को पहले बताया था कि एक ही लिंग के दो व्यक्तियों के बीच शादी की संस्था की स्वीकृति को न तो मान्यता प्राप्त है और न ही किसी भी असंबद्ध व्यक्तिगत कानूनों या किसी संहिताबद्ध वैधानिक कानूनों में इसे स्वीकार किया जाता है. वहीं याचिकाकर्ता, हिंदू विवाह अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम और विदेशी विवाह अधिनियम के तहत मान्यता दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
एक तरफ तेजी से बढ़ रहा है टीकाकरण अभियान और लगातार गिरता जा रहा है कोरोना का ग्राफ
जानिए आज क्या है पेट्रोल-डीजल के दाम?
हैदराबाद एसएलजी अस्पतालों को बीएचईएल से मिला मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट