नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय, CPIM नेता वृंदा करात द्वारा एक लोअर कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार 13 जून को फैसला देगी। दरअसल, लोअर कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के खिलाफ वर्ष 2020 में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए FIR दर्ज करने की मांग करने वाली वृंदा करात की याचिका को ठुकरा दिया था।
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की बेंच सोमवार को इस मामले में फैसला देगी, जिसने 25 मार्च, 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वृंदा करात ने अक्टूबर 2021 में लोअर कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि सक्षम प्राधिकारी से अपेक्षित अनुमति नहीं ली गई थी, जो कानून के तहत आवश्यक है। ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि FIR दर्ज करने के आदेश के चरण में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 196 के मुताबिक, केंद्र सरकार की सक्षम प्राधिकारी की पूर्व मंजूरी जरूरी है, क्योंकि दोनों व्यक्ति संसद सदस्य हैं।
CPIM नेता वृंदा करात और के.एम. तिवारी ने लोअर कोर्ट के सामने शिकायत दर्ज कराई थी और अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए संसद मार्ग थाने को निर्देश देने की मांग की थी। बता दें कि 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अनुराग ठाकुर ने अपने भाषण में 'देश के गद्दारो को, गोली मारो सालों को" का नारा लगाया था। जिसको हेट स्पीच मानते हुए केस दर्ज किया गया था, हालांकि, ठाकुर ने किसी का नाम नहीं लिया था। लेकिन अब कोर्ट तय करेगा कि, केंद्रीय मंत्री की बात में कितनी घृणा थी और अगर थी, तो किसके लिए थी ?
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