होली के बाज़ारों से 'रौनक' गायब, क्या इस बार भी 'त्यौहार' को खा जाएगा कोरोना

होली के बाज़ारों से 'रौनक' गायब, क्या इस बार भी 'त्यौहार' को खा जाएगा कोरोना
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नई दिल्ली: एशिया के सबसे बड़ा बाजारों में से एक सदर बाजार, इस समय दोहरी मार का सामना कर रहा है. होली का त्यौहार है, किन्तु अदालत के आदेश के बाद नो स्क्वेटिंग जोन में रंग गुलाल या पिचकारी नहीं लग रही है, तो बाजार की बिक्री भी गिरी है. इसके साथ ही एक और बात है. इस बार होली के लिए चीन का गुलाल या पिचकारी भी बाजार से पूरी तरह नदारद है. 

सदर बाजार ट्रेड एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी देवराज बवेजा ने जानकारी देते हुए बताया है कि मार्केट में काम केवल 30 फीसदी बचा है. एक वक़्त था जब होली से पहले बाजारों में तिल रखने की भी जगह नहीं होती थी, वहीं आज बाजार वीरान पड़ा है. वहीं सदर बाजार में होली के सामानों के थोक विक्रेता रवींद्र सिंह ने दुकानदारों के लिए इस बार की होली को गत वर्ष की तुलना में बेहतर बताया हैं. क्योंकि ग्राहकों की तादाद तुलनात्मक रूप से पिछले साल की तुलना में इस बार अधिक है. इसके अलावा उम्मीद है कि यह समय के साथ बढ़ेगी.

खास बात यह है की इस बार स्वदेशी सामानों की खरीदी खुल कर हो रही है. होली के लिए बेचे जा रहे सभी समान भारत निर्मित हैं. लोग खुद भी चीन के बने सामानों को लेने से इंकार कर रहे हैं. कभी चीन की बनी टैंक वाली पिचकारी, डोरेमोन, पोकेमोन, बार्बी बच्चो के पसंदीदा हुआ करते थे, किन्तु अब इंडिया के बने सामानों की वैरायटी ज्यादा है.

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