27 जुलाई 2018 को सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण रहा जिसे देखने के लिए सभी बेताब थे. इस ग्रहण के सुतं दोपहर के 2 बजे ही लग गए थे जिसके बाद सभी मंदिरों के पट बन हो गए थे. छोटे से छोटे और बड़े से बड़े मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं ताकि भगवान पर ग्रहण का कोई असर ना पड़े. लेकिन एक मंदिर ऐसा भी रहा जसी पतन ग्रहण के दौरान भी बंद नहीं हुए. जी हाँ, वैसे तो नियम है ग्रहण या सूतक में मंदिर के पट बंद रहते हैं पर ऐसा ही मंदिर है जिसके पट बंद नहीं थे.
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दरअसल, दिल्ली का कालका जी मंदिर के पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत ने बताया कि यहां के पट कभी बंद नहीं होते. उन्होंने कहा चाहे सूर्य ग्रहण हो या चंद्रग्रहण हो इस मंदिर के दरवाज़े हमेशा खुले रहते हैं. जहँ हर मंदिर के पट सूतक काल में बंद हो जाते वहीं सिद्धपीठ कालकाजी मंदिर के कपाट भक्तों के लिए सूतक और ग्रहण काल के दौरान भी रात में 12 बजे तक खुले रहे. उनका मानना है कि 12 राशियां और नौ ग्रह स्वयं माँ के इस मंदिर में विराजित हैं जो माँ के पुत्रों के रूप में जाने जाते हैं और यही रहते हैं. इसी को देखते हुए इस मंदिर के पट कभी बंद नहीं होते और ये ग्रहण सबसे लंबा ग्रहण था जिसकी अवधि 235 मिनट की रही. ये संयोग 104 साल बना था जिसके चलते मंदिर के पट बंद नहीं हुए.
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बताया जा रहा है ये एक ऐतिहासिक नज़ारा था जिसमें चाँद धीरे-धीरे अपने रंग को बदल रहा था. भारत में 1 बजे के आस पास पूर्ण चंद्रग्रहण हुआ था जिसमें चाँद पूरी तरह लाल था और ये नज़ारा बेहद ही खूबसूरत रहा.
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