नई दिल्ली: मौलाना साद की मां खालिदा की याचिका पर दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मरकज से संबंधित उस आवासीय हिस्से को खोलने के आदेश जारी किए हैं, जिस पर दिल्ली पुलिस ने 1 अप्रैल से ही ताला डाल रखा था. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि भारत के किसी भी नागरिक को आर्टिकल 21 के तहत अपने आवासीय स्थान में रहने का अधिकार है.
71 वर्षीय खालिदा ने अदालत में याचिका लगाई थी कि मकान नंबर 168, बस्ती हजरत निजामुद्दीन में वो अपने बेटे मौलाना साद, उसकी पत्नी और पोते के साथ रहती थी. 31 मार्च को पूरे मरकज परिसर को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सील कर दिया गया था, जिसमें उसका घर भी शामिल है. खालिदा ने अदालत से अपने घर को खुलवाने की अपील की थी. खालिदा ने अपनी याचिका में कहा था कि बीते 6 महीने से वह अपने घर में नहीं जा पा रहे हैं.
इसके बाद अदालत ने प्रशासन और पुलिस को आदेश दिया है कि 5 कार्यदिवस के अंदर इस घर को खुलवाया जाए. अदालत ने कहा है कि इन 5 दिनों के दौरान जांच एजेंसियां चाहें तो इस परिसर का जायज़ा ले सकती हैं, किन्तु इसके साथ साथ मोहम्मद साद की मां खालिदा को अदालत ने निर्देश दिया है कि वो सिर्फ संपत्ति के आवासीय भाग का ही इस्तेमाल करेंगे और केवल परिवार के लोग ही रहने के लिए इस इमारत का प्रयोग करेंगे. वो मरकज से संबंधित किसी भी और हिस्से में प्रवेश नहीं करेंगे. मरकज से जुड़ी शेष इमारतों का भी किसी अन्य उद्देश्य के लिए प्रयोग पर पाबंदी है.
मुनाफावसूली के चलते सपाट होकर बंद हुआ बाजार, इन शेयरों में आया जबरदस्त उछाल
PNB दे रहा प्रॉपर्टी खरीदने का सुनहरा मौका, 29 सितंबर से पहले उठा लें लाभ
परेश रावल को मिली बड़ी जिम्मेदारी, बने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के चेयरमैन