भारत की दिल्ली में जनता की जीवन रेखा कही जाने वाली मेट्रो की सेवाएं लाकडाउन की वजह बीते पांच माह से बंद है. परिचालन बंद होने के कारण मेट्रो पर आर्थिक विपत्ति आ गया है. घाटे की भरपाई व मेट्रो पर लोन को लेकर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल गवर्नमेंट के बीच टकराव की परिस्थिति बनती नजर आ रही है.
रक्षा उत्पादों के इम्पोर्ट पर बैन, चिदंबरम बोले- रक्षामंत्री का ऐलान सिर्फ एक शब्दजाल
लॉकडाउन की वजह से बनी स्थिति के पश्चात केन्द्र सरकार से मेट्रो प्रबंधन ने आर्थिक सहायता मांगी थी. इस सहायता के पीछे लोन का हवाला दिया गया था, किन्तु केंद्र गवर्नमेंट ने इसे प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी बताते हुए आर्थिक सहायता करने से मना कर दिया है. इसके पश्चात से ही केन्द्र और प्रदेश सरकारों के बीच टकराव की स्थिति बन रही है.
अब इंसान नहीं बल्कि रोबोट करेंगे सीवर की सफाई, इस शहर से शुरू हुई पहल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के डिप्टी मनीष सिसोदिया ने बताया है कि 'मेट्रो को ऋण से उबारने और नुकसान की भरपाई की अकेले की हमारी जिम्मेदारी नहीं है. मेट्रो के किराया में बढोत्तरी होती है, तब केंद्र गवर्नमेंट हमसे पूछती तक नहीं हैं. बोर्ड में जब निर्देशक तय करने की बात होती है, तब भी केंद्र सरकार राज्य सरकार की राय तक नहीं लेती. इतना ही नहीं कॉरिडोर की मंजूरी देनी होती है, तब भी हमारी नहीं सुनी जाती, तो हम अकेले पैसे क्यों चुकाएं. जबकि मेट्रो से संबंधित सभी फैसले केन्द्र सरकार करती है'. वही, महामारी कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगे लाकॅडाउन में दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) की सेवाएं समाप्त कर दी गईं. इस बंदी के चलते ही मेट्रो पर आर्थिक विपत्ति गहरा गई.
भारत में कोरोना से 196 डॉक्टरों की मौत, IMA ने पीएम मोदी से मांगी मदद
सुशांत केस: संजय राउत का आरोप, कहा- उद्धव सरकार के खिलाफ साजिश रच रही बिहार सरकार