नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और जेल एवं स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत के विरोध में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट में जोरदार दलीले दीं। ED का कहना था कि जैन काफी प्रर्भावशाली नेता हैं। उन्होंने अपने प्रभाव का उपयोग कर न सिर्फ काफी सारे काले धन को सफेद किया, बल्कि सबूत भी बड़ी होशियारी के साथ मिटा दिए। ED का कहना था कि जैन को जमानत पर रिहा करना गलत होगा, क्योंकि वो और भी हेरफेर कर सकते हैं।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विकास ढुल की अदालत में ED की ओर से दलीलें पेश करते हुए एसवी राजू ने कहा है कि सत्येंद्र जैन एक बेहद प्रभावशाली नेता थे। उन्होंने न सिर्फ काले धन को सफेद किया, बल्कि सबूत भी मिटा डाले। उनका कहना था कि गलत सबूत गढ़कर AAP नेता ने अपने काले कारनामों को मिटा दिया। ASG ने कोर्ट में जेपी मेहता का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि कोलकाता के हवाला ऑपरेटर्स और AAP नेता जैन के कंट्रोल वाली कथित कंपनियों के बीच वो (मेहता) एक मजबूत लिंक थे। उन्होंने कहा कि जैन तमाम मामले के सरगना थे। उनका कहना था कि जैन ने संदिग्ध कंपनियों से अपने आप को कागजों पर ही अलग किया था। जबकि वास्तविकता में वो खुद ही सारी कंपनियों को नियंत्रित कर रहे थे।
ED ने कहा कि जिन पांच कंपनियों का उल्लेख इस मामले में किया गया है, वो सिर्फ कागजों पर ही संचालित थीं। उनका काम-धंधे से कोई खास वास्ता नहीं था। जांच एजेंसी ने कहा था कि इस मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है। अदालत ने इसे मंजूर भी कर लिया है। इसे कहीं से चुनौती भी नहीं दी गई है। मामले की सुनवाई 9 नवंबर को होगी। बता दें कि, ED ने CBI की ओर से दर्ज मामले का संज्ञान लेते हुए सत्येंद्र जैन के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया था। CBI का इल्जाम है कि जैन ने 2015 से लेकर 2017 के दौरान अकूत संपत्ति अर्जित की। लेकिन, ये सम्पत्तियाँ कई लोगों के नाम पर थीं। जैन इन सारी कंपनियों को नियंत्रित कर रहे थे। वो ही इनके जरिये लाभ उठा रहे थे। बकौल एजेंसी जैन सारे गोरखधंधे के मास्टर माइंड थे। वो ही पूरा खेल चला रहे थे।
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