नई दिल्लीः दिल्ली का स्थान दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में आता है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर विशेषकर दिवाली के दौरान खतरनाक तरीके से बढ़ जाता है। इस बार भी यही देखने को मिल रहा है। उत्तर भारत से मानसून की विदाई में हो रही देरी दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा पर नकारात्मक प्रभाव डालने जा रही है। इस महीने के दूसरे पखवाड़े में हवा की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट की आशंका है। महीना खत्म होते-होते हवा बेहद खराब स्तर पर पहुंच सकती है। ऐसे में दिल्ली-एनसीआर के गैस चैंबर में तब्दील होने की आशंका है।
प्रदूषकों का बड़ा हिस्सा पटाखेबाजी और पड़ोसी राज्यों में पुआल जलने से निकलने वाले धुएं का होगा। इसमें स्थानीय स्तर पर होने वाला प्रदूषण भी अहम भूमिका अदा करेगा। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने बुधवार को अगले 15 दिन के पूर्वानुमान में कहा है कि हर साल अमूमन एक सितंबर को मानसून विदा होना शुरू हो जाता है। इस साल यह एक महीने देरी से है। अगले कुछ दिन में इसकी विदाई होनी है। सफर के अनुसार, मानसून के जाने में हो रही देरी दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
15 अक्तूबर के बाद तापमान गिरेगा और मौसम सर्द होगा। वहीं, मानसून के लौटने के तुरंत बाद इस क्षेत्र में चक्रवातरोधी स्थितियां बनेंगी। इससे धरती की सतह पर चलने वाली हवाएं शांत रहेंगी। सफर का कहना है कि दोनों का मिला-जुला असर खराब मौसमी दशाओं के तौर रहेगा। इससे वायु प्रदूषण के स्तर में तेजी से बढ़ोत्तरी होगी। इस दौरान पटाखेबाजी और पुआल जलाने के मामलों में भी बढ़ोत्तरी होने से हवा की गुणवत्ता बेहद खराब होगी। इससे दिल्ली-एनसीआर इस मौसम में पहली बार गैस चैंबर बनते दिखेंगे। हालांकि, दिल्ली में स्थानीय कारकों पर बंदिश लगाई जा सकी तो हालात बेहतर रह सकते हैं।
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