नई दिल्ली: दिल्ली में कचरे के निपटान के लिए ओखला में बने वेस्ट-टू-एनर्जी (WTE) प्लांट की योजना स्थानीय लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन गई है। इस प्लांट से निकलने वाले धुएं में कैडमियम, लेड, आर्सेनिक और अन्य खतरनाक रसायन हैं, जो आसपास के इलाकों के लोगों को प्रभावित कर रहे हैं।
यहां तक कि प्लांट से निकलने वाली राख में भी जहरीले प्रदूषक होते हैं, जिन्हें आसपास के रिहायशी इलाकों में फेंका जाता है। इससे इलाके के लोग, खासकर बच्चे, अस्थमा, कैंसर और त्वचा संबंधी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह प्लांट दक्षिण-पूर्व दिल्ली के ओखला में रहने वाले लगभग दस लाख लोगों के लिए खतरा बन चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्लांट कई पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन कर रहा है और इलाके के स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर रहा है।
यह भी दावा किया गया है कि तिमारपुर-ओखला वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी और जिंदल ग्रुप मिलकर इस प्लांट का संचालन कर रहे हैं। इस प्लांट को कई बार ग्रीन मॉडल के रूप में पेश किया गया है, लेकिन पांच साल की जांच के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि यह इलाके के निवासियों के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। कचरे की राख खुले में फेंकी जा रही है, जो बच्चों के स्वास्थ्य और विकास पर नकारात्मक असर डाल रही है।
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