गदिल्ली पुलिस ने जेएनयू के विद्यार्थी शरजील इमाम पर राजद्रोह के केस में दिल्ली के पटियाला हाउस अदालत में चार्जशीट दायर कर दी है. दिल्ली पुलिस ने ये चार्जशीट यूएपीए एक्ट के तहत दायर की है. पुलिस ने राजद्रोह के साथ आईपीसी की धारा 153 (ए) (बी), 505 और 13 गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 भी जोड़ा है.
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बता दे कि CAA के विरूध्द शाहीन बाग में आंदोलन के समय शरजील इमाम पर भड़काऊ भाषण दिया था. इस कृत्य के बाद शरजील पर समुदाय विशेष को भड़काने और राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को क्षति पहुंचाने का आरोप लगाया गया है. साथ ही, शरजील इमाम पर आरोप है, कि उन्होंने एक खास समुदाय के लोगों को प्रमुख जिलों के लिए जाने वाले राजमार्गों को रोककर "चक्का जाम" करने का ऐलान किया था. जिससे सामान्य जीवन बाधित हो गया. उन्होंने संविधान की भी खुले तौर पर अवहेलना की और इसे "फासीवादी" दस्तावेज कहा. 'सीएए' का विरोध करते हुए उन्होंने मुख्य रूप से देश को पूर्वोत्तर से जोड़ने वाली 'चिकन नेक' को सबके सामने प्रमोट किया था. उन्हे विरोध के लोकतांत्रिक साम्रगी का हर तरह से अवमानना और अवहेलना करते देखा गया था.
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इस मामले की पड़ताल कर रही टीम को शरजील इमाम को लेकर पता चला कि उसने मस्जिद के करीब वाले हिस्सों में भड़काने वाले पोस्टर भी बटवाएं थे. इसका पता उस समय चला जब पुलिस ने शरजील इमाम के लैपटॉप की जांच की. उसमें से उन सभी पोस्टर की तस्वीरें बरामद की गई हैं. वही, निचली कोर्ट ने 25 अप्रैल को जांच एजेंसी को इस केस की जांच पूरी करने के लिए, और 90 दिनों का समय दिया था. वक्त मिलने बाद पुलिस ने बताया था कि महामारी और लॉकडाउन से पड़ताल पर असर होगा.
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